Sri Guru
Sri Guru
February 15, 2025 at 10:35 AM
*प्रेम का जश्न* अनंत की रोशनी से जब होती है रूह आबाद, सब कुछ पा कर, लौटाने का होता है आह्लाद! हम झूमते हैं प्रेम के इस जश्न में, और घुल जाते हैं सफ़र के हर कदम में! ये लौटाना है सेवा, मानवता की जिस में ‘मैं’ की मान्यता है बदलती, प्रेम के हर ओर झूम कर जब ज़िन्दगी है सँवरी, तो ‘मैं’ की रही नहीं कोई पहचान अधूरी! अब यहाँ बस ‘एक’ है हर पल में रहता, जिस ‘एक’ से ही उत्सव का प्रवाह हर ओर है बहता! इस खोने में ही सब कुछ है पाया हमने, तो क्यों न झूमें अब प्रेम के इस अलबेले जश्न में?
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