
Bharatidea
January 31, 2025 at 09:33 AM
राष्ट्रपति मुर्मू के प्रति विपक्ष की घृणा: आदिवासी नेतृत्व स्वीकारना मुश्किल क्यों?
पप्पू यादव द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर की गई टिप्पणी, "राष्ट्रपति एक मोहर हैं जो प्रेम पत्र पढ़ती हैं," न केवल अमर्यादित है बल्कि उनकी संकीर्ण मानसिकता को भी उजागर करती है। पप्पू यादव जैसे नेता अपने पूरे राजनीतिक करियर को आदिवासी, दलित और SC-ST समुदायों के समर्थन के नाम पर आगे बढ़ाते हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि वे अंदर ही अंदर इन्हीं समुदायों से घृणा करते हैं।
देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति को लेकर विपक्ष लगातार अपनी नफरत दिखा रहा है। सोनिया माइनो उर्फ़ 'इटालियन राजमाता' इस सच्चाई को स्वीकार नहीं कर पाईं कि भारत की राष्ट्रपति एक आदिवासी महिला बनीं, जबकि वह स्वयं या अपने बेटे को प्रधानमंत्री बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करती रहीं। लेकिन जब वह स्वयं इस पद तक नहीं पहुंच पाईं, तो अब राष्ट्रपति मुर्मू को अपमानित करने की साजिशें रच रही हैं।
राष्ट्रपति मुर्मू को बार-बार विपक्ष के अपमान का सामना करना पड़ रहा है। यह न केवल भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है, बल्कि उन करोड़ों आदिवासियों और वंचित वर्गों के प्रति भी अन्याय है, जिनका राष्ट्रपति मुर्मू प्रतिनिधित्व करती हैं।
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