
Vivek Sen
February 19, 2025 at 04:27 PM
अपनी उर्दू तो मोहब्बत की ज़बाँ थी प्यारे ¶¶ उफ़ सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब से ¶¶
औरों के ख़यालात की लेते हैं तलाशी
और अपने गरेबान में झाँका नहीं जाता
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