
PAHAL
February 1, 2025 at 12:55 PM
कल्पना चावला
है भारतीय मूल की, वो अमेरिकी नार।
अंतरिक्ष की सैर में, पहला नाम शुमार।।
करनाल हरियाणा की, निडर प्रखर सुधि नार।
अंतरिक्ष के सफर में, गयी दूसरी बार।।
सफर था सोलह दिन का, सात यात्री सवार।
दिखा रही थी चावला, नेतृत्व का निखार।।
समय वापसी का रहा, आतुर था संसार।
हुई यान कोलंबिया, आपदा की शिकार।।
एक फरवरी पुण्यतिथि, नमन करें सौ बार।
कल्पना कल्पना बनी, लें पदचिन्ह निहार।।
द्रवित हृदय से विश्व तब, बहाया अश्रु धार।
पाठक वंदन कर कहें, कल्पना का विचार।।
रचयिता - राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना।
संपर्क - 9835232978