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मेरे अनुरागी कवि ह्रदय की वो रचनाएं जो लोगों तक सार्वजनिक रूप से नहीं पहुंचा। उसे इस चैनल के माध्यम से प्रकाशित कर रहा हूं। इनमें से कुछ प्रकाशित है तो कुछ अप्रकाशित। अपनी सैकड़ों रचनाओं को धीरे धीरे इस चैनल के माध्यम से आप तक लाएंगे।आपके द्वारा इस चैनल को follow कर मेरी सभी कविताओं को जो समय-समय पर चैनल पर Post होगा, पढ़ा जा सकता है। आपके प्यार और सब्र के लिए आपको धन्यवाद। कवि: राम किशोर पाठक
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विश्व नागरिक सुरक्षा दिवस - दोहावली सजग रहे हर आम तो, आती विपदा अल्प। जीवन रक्षा भाव का, निकल आता विकल्प।। दुर्घटना को रोकिए, सूझ-बूझ ले हाथ। किसी को रहना न पड़े , पछतावा के साथ।। असावधानी में सदा, हो जाती है घात। पहले से हीं चेतिए, मिले नहीं आघात।। अकस्मात कुछ घटित हो, लगे नहीं अनुमान। जन जीवन होता तभी, अस्त व्यस्त हलकान।। रखिए प्रबंध इस तरह, हरपल चुस्त दुरुस्त। शीघ्र मदद सबको मिले, पड़े न कोई सुस्त।। कैसी भी हो आपदा, रहे सदा तैयार। जिससे चोटिल को मिले, सदा शीघ्र उपचार।। रखें जानकारी वही, जो कर सके बचाव। इस दिवस को मनाइए, ऐसा हीं ले भाव।। पाठक करे प्रयास यह, हर कोई ले जाग। जिससे डॅंस पाए नहीं, दुर्घटना का नाग।। रचयिता - राम किशोर पाठक प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना। संपर्क - 9835232978

विश्व नागरिक सुरक्षा दिवस - दोहावली सजग रहे हर आम तो, आती विपदा अल्प। जन जीवन सुरक्षा का, निकल आता विकल्प।। दुर्घटना को रोकिए, सूझ-बूझ ले हाथ। जिससे ना रहना पड़े, पछतावा के साथ।। असावधानी से सदा, होती रहती घात। पहले से हीं चेतिए, मिले नहीं आघात।। अकस्मात घटित हो यदि, लगे नहीं अनुमान। आम जीवन हो जाता, अस्त व्यस्त हलकान।। प्रबंधन हमारा रहे, ऐसा चुस्त दुरुस्त। शीघ्र मदद सबको मिले, पड़े न कोई सुस्त।। आपदा हो कैसा भी, रहे सदा तैयार। जिससे चोटिल को मिले, सदा शीघ्र उपचार।। जानकारी रखना भी, होता एक बचाव। मनाइए इस दिवस को, ऐसा हीं ले भाव।। पाठक का प्रयास यही, हर कोई ले जाग। जिससे डॅंस पाए नहीं, दुर्घटना का नाग।। रचयिता - राम किशोर पाठक प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना। संपर्क - 9835232978

सुरक्षित शनिवार पर अगलगी - मनहरण घनाक्षरी उष्णता बढ़ जाने से, पछुआ बह जाने से, आग के लग जाने से, बचकर रहिए। बिजली का खतरा हो, धूम्रपान कचरा हो, पटाखों का लफड़ा हो, जांचने को कहिए। घर खेत खलिहान, जान माल परेशान, अस्त व्यस्त सा सामान, नुकसान सहिए। अग्निशमन रख लें, जल एकत्र कर लें, नंगे तार को ढक लें, सजगता गहिए। रचयिता - राम किशोर पाठक प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना। संपर्क - 9835232978

स्वरचित संस्कृते श्लोका: तारणं हि मोहनाय सुफलं भवति जन्मानि। मोहनस्य तारणं वा सुफलो जन्म जन्मानि।। मधुराणि वचनानि तुष्यन्ति सर्वा:। इप्सित: इयं सर्वं परं नैव वक्ता:। कालेन् योगेन् य: प्रतिपादयेत। लोके समस्ता: स: हि विशिष्ट:। नारायणं श्रीपत्यं सर्वलोक प्रतिपालकं। क्षम्यतां अपराधं मम् गीतामृतं देहि मे। आदिदेवं नमस्तुभ्यम् प्रकृत्यादि कारकं। विश्वेशं हलाहलं भक्षी शरणागतं देहि मे।। न जानामि किंचित परं बोध सर्वं। अहं सर्वमेव सदा भाव इयम्।। कथम् ज्ञान इयं हृदये अप्रसन्ना। प्रसन्ना: सर्वे परोभाव मूढा:।। सहस्रांशु दीप्तं लोके सर्वभूत हितकारकं। नमामि नित्यं प्रसन्नाय आदित्याय नमो नमः।। जननी जायते जाया, जाया जननी जन्मजाता। य: जायते, स: जायते, स: एव हि निष्णात:।। अर्थस्य भावं पुरुषस्य भावं भिन्ना: भवन्तु नैव समभाव:। जातं सर्वे परं नैव जातं सर्वाणि अर्थाणि पुरुषे अधिन:।। यथा पायसे निहितं घृतं, प्राप्यते न मथनं बिना। तथा हि पुरुषं परम्, पश्यते न आत्मानुचिंतनं बिना।। आगमनं हि आदित्याय तमो विनश्यते जायते दृश्यमान:। तथा हि आत्मवत् बोधाय तोष्यंते समस्त: लोकाचारिण:। नित्यं गीतामृतं पीत्वा ध्यायेत वासुदेवो योगेश्वर:। सर्वाबाधा विनश्यति लोके योगमाया विमुच्यते। जानकी नाथं जगन्नाथं जितेन्द्रियं धर्म रक्षक:। क्षमत्वा सर्वाणि पापाणि सदगत्याम् देहि मे। यथा पायसे मेघपुष्पाणि पायसस्य गुणं धारयते। तथाहि सज्जनानां संगति सद्वृतिं उपजायते।। मोहात् संशयं जाति भीतं जाति संशयात्। भयात् नैव सच्चिदानंदं मोह मूले सर्वदा।। शुभं तु शीघ्रं परं शीघ्रं न तु शुभं। शीघ्रं वा शुभं वाऽपि ईश्वरेच्छा बलीयसि।। बिना विरोधेन गमनं नैव शक्नोति पदमेकं सतपथं। यथा पुष्पाणि नैव विकसन्ति शूलेन रक्षणं बिना।। जप: वंदन तपस्चर्या नैवं उपजायते मोक्षस्य द्वार: । मनोनिर्विकारो वा परोपकार: सर्वमेव प्रजायते।। पटले रचना सार: यदा यदा हि दिवसस्य प्रयोजनं विशिष्टं जायते। निरीक्षणाय पाठकानां हि पटले तदात्मानं सृजन प्रेषिस्याम्यहम्। सृजनामेव अधिकारस्ते मा प्रकाशनेषु कदाचन। आरोग्यमेव सौभाग्यं नैवं इव वसुंधरा। उमासुतं स्मरेत् नित्यं नित्यानंद प्रदायक:। प्रशंसा रोचयते सर्वा: भद्राणि इच्छन्ति जन्तवः। नैक: तुष्यन्ति जगतामेक: भद्रं वा प्रशंसनम्। वंदेऽहम् जननी जन्मभूमिश्च जनक गुरुदेवो गणनायक;। गिरिजापतिं रमापतिं वाक्पतिं नित्यानंद सुखदायक:।। कलिमनम्लानांताय विहाय शोकचिंताय च। नमामि नित्यं प्रसन्नाय कृष्णाय राधा हृदय विहारिणं।। ॐ इति बीज मंत्रों वा ब्रह्माण्ड शक्ति कारका:। भजेत जगत् हिताय नित्यं ओंकारेश्वराय सर्वदा।। आत्मबोध प्रबोधाय सद्कर्म गत्याय च। मन: शोक हारिण्यै श्रीकृष्णाय नमो नमः। त्यजेत् सर्वदा मनोविकार: शुभम् भवति आत्मन:। आत्मन: परित्यागेन शुभम् जायेत् वसुधारिन:।

राजेन्द्र प्रसाद - मनहरण घनाक्षरी देश रत्न कहलाए, राष्ट्रपति बन पाएं, राजेन्द्र प्रसाद जैसी, आभा पहचानिए। सरल सौम्य स्वभाव, साहित्य का भी लगाव, विलक्षणता के धनी, त्यागशील मानिए। पठन पाठन ज्ञान, जिनका प्रथम स्थान, परीक्षक से श्रेष्ठ थें, उपमा बखानिए। स्वतंत्रता के नायक, थें गॉंधी के सहायक, भारत रत्न सम्मान, विभूषित जानिए। रचयिता:- राम किशोर पाठक प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना। संपर्क - 9835232978

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस - गीत हम करें विज्ञान की बातें, देश की उत्थान की बातें। विज्ञान और नवाचार में, युवाओं को सशक्त बनाना। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस सदा, जागरूकता चाहे लाना। केंद्रित रखकर इसी भाव को, सुखद विज्ञान दिवस मनाते । हम करें विज्ञान की बातें, देश की उत्थान की बातें। मंत्रालय यह प्रचार करती, प्रौद्योगिकी को अपना सकें। दूर हो विचार रूढ़िवादी, जो दृष्टिकोण को बदल सके। वैज्ञानिकता के विकास में, याद रमण प्रभाव कर पाते। हम करें विज्ञान की बातें, देश की उत्थान की बातें। पाठक रखता है अभिलाषा, तृप्त सभी की हो जिज्ञासा। रहे सुरक्षित जीवन सबका, खुशियों की जागे प्रत्याशा। खोज चरमोत्कर्ष पहुंचाते, नित्य नवीन ओज भर पाते। हम करें विज्ञान की बातें, देश की उत्थान की बातें। दुनिया भी विस्मित हो जाए, हम ऐसा विकास कर पाएं। अंधविश्वास यहॉं मिटाए, सुखमय जीवन को कर पाएं। तकनीक संग मानवता का, सर्वसुलभ जब राह बनाते। हम करें विज्ञान की बातें, देश की उत्थान की बातें। रचयिता:- राम किशोर पाठक प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना। संपर्क - 9835232978

। प्रार्थना । । गीतिका । भक्ति भाव की थामें थाली, आया द्वार ले आस मॉं। श्रद्धा -सुमन करूॅं अर्पण मैं, नहीं कुछ मेरे पास मॉं। जान रहा मैं मान रहा मैं, करता सदा विश्वास मॉं। क्षीर नीर विवेक से भर दो, कर दो प्रज्ञा विकास मॉं। भक्ति भाव की थामें थाली, आया द्वार ले आस मॉं। धवल वसन सा मन निर्मल हो, जीवन कर दो उजास मॉं। ज्ञान समेटे पुस्तक कर में, बना लो अपना दास मॉं। छेड़ रही हो तुम वीणा को, दो वाणी में मिठास मॉं। भक्ति भाव की थामें थाली, आया द्वार ले आस मॉं। फेर स्फटिक माला को कर में, बचा लो कल्मष ग्रास मॉं। श्वेत कमल पर तुम राजित हो, बना दो मुझको खास मॉं। मातु भारती यह वर मुझको, हो सफल सदा प्रयास मॉं। भक्ति भाव की थामें थाली, आया द्वार ले आस मॉं। रचयिता - राम किशोर पाठक प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना। संपर्क - 9835232978

वंदेऽहम् जननी जन्मभूमिश्च जनक गुरुदेवो गणनायक;। गिरिजापतिं रमापतिं वाक्पतिं नित्यानंद सुखदायक:।। कलिमनम्लानांताय विहाय शोकचिंताय च। नमामि नित्यं प्रसन्नाय कृष्णाय राधा हृदय विहारिणं।। :- राम किशोर पाठक:

श्वेत पद्मासना देवी हस्ते स्फटिक मालिकाम्। हंसारुढा नमस्तुभ्यम् वीणा पुस्तक धारिणीम्।। वागीश्वरी नमस्तुभ्यम् ज्ञान चक्षु प्रबोधिनीम्। देहि मे वरं मातु कण्ठे कुरु सुशोभनं।। :- राम किशोर पाठक:

भूकम्प - मनहरण धनाक्षरी अचानक उर्जा मिले, स्थलमंडल जो हिले, तरंग के प्रवाह को, भूकंप हैं बोलते। प्रारंभ को अवकेंद्र, सतही उपरिकेंद्र, रिक्टर पैमाने पर, तीव्रता को मापते। ज्वालामुखी सुनामी सा भूस्खलन दरार ला,, प्रकोप विनाशकारी, दहशत घोलते। इमारतों से निकल, अभी मैदान में चल, मौका न मिले अगर, कोना कुर्सी खोजते। रचयिता - राम किशोर पाठक प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना। संपर्क - 9835232978