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मेरे अनुरागी कवि ह्रदय की वो रचनाएं जो लोगों तक सार्वजनिक रूप से नहीं पहुंचा। उसे इस चैनल के माध्यम से प्रकाशित कर रहा हूं। इनमें से कुछ प्रकाशित है तो कुछ अप्रकाशित। अपनी सैकड़ों रचनाओं को धीरे धीरे इस चैनल के माध्यम से आप तक लाएंगे।आपके द्वारा इस चैनल को follow कर मेरी सभी कविताओं को जो समय-समय पर चैनल पर Post होगा, पढ़ा जा सकता है। आपके प्यार और सब्र के लिए आपको धन्यवाद। कवि: राम किशोर पाठक

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5/19/2025, 4:23:21 PM

दसों दिशाएँ - बाल सुलभ कविता जहाँ सूरज रोज निकलता है। जिधर से नभ में चढ़ता है।। पूरब उसको कहते प्यारे। सुबह रोज हीं दिखता प्यारे।। दिन बीते जब होती शाम। सूरज करने चला विराम।। वही दिशा है पश्चिम प्यारे। रात होने की करे इशारे।। सुबह सूरज जब देख रहे हो। हाथ फैलाए अगर खड़े हो।। दक्षिण दायाँ हाथ बताया। बायीं ओर उत्तर कहलाया।। चार दिशाओं के आगे भी। चार कोण को जानें सभी।। पूरब- दक्षिण मिले जहाँ। अग्नि-कोण होता वहाँ।। पूरब- उत्तर जहाँ मिलते। ईशान-कोण उसे कहते।। दक्षिण-पश्चिम जो मिल जाएँ। नैऋत्य का कोण बनाएँ।। उत्तर-पश्चिम ज्यों हीं मिलते। वायव्य-कोण का नाम निकलते।। मूल दिशाएँ चार हीं होती। चारो कोणों पर मिलते मोती।। ऊपर नीचे यदि मिलाएँ। कुल दस होती हैं दिशाएँ।। सोच-समझ जो कदम उठाए। उसकी जय गूँजे दसों दिशाएँ।। रचयिता:- राम किशोर पाठक। प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना। संपर्क- 9835232978

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5/21/2025, 10:34:56 AM

राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी दिवस - गजल आप आतंक से लड़ सकें जो अभी, रोज डर का निशाना बनोगे नहीं। कौन आया यहाँ है अमर हो सदा, मार डालो अगर तो मरेगा नहीं।। आप कोसो रहे दूर तो क्या हुआ, सांप है पर किसी को डंसेगा नहीं। हौंसला रख चलो शस्त्र थामों जरा, वार खुलकर करो वह बचेगा नहीं।। मौन रहकर सदा बल उसे है दिए, रोक दें जो कभी तो उड़ेगा नहीं। देर अब हो गयी बात ऐसी कहाँ, डिग सको जोर उसका चलेगा नहीं।। रचयिता:- राम किशोर पाठक प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना। संपर्क - 9835232978

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6/1/2025, 6:21:47 AM

बिन बोले रह पाऊँ कैसे - गीत कहना है कुछ मुझको सबसे। बिन बोले रह पाऊँ कैसे।। करते हैं मनमानी सब क्यों। कहते हैं एहसान किए ज्यों।। अपनी हीं बस गाते गाथा। कहते हैं खुद को जो माथा।। बिन कारण कुछ बोलें ऐसे। बिन बोले रह पाऊँ कैसे।।०१।। खुद का याद रखें जग सारा। दुनिया की हर बात नकारा।। कहता है मुझसे यह दुनिया। हरपल रौब दिखाए दुनिया।। धमकी देकर बोलें जैसे। बिन बोले रह पाऊँ कैसे।।०२।। करना है कुछ काम बड़ा तो। जग में रहकर नाम बड़ा तो।। खुद की हरकत देखा जिसने। बनकर सूरज दमका उसने।। हरपल चाहत अद्भुत वैसे। बिन बोले रह पाऊँ कैसे।।०३।। समझ-समझ कर भी करते हैं। अपने हीं मद में रहते हैं।। उनको पल- पल जो बतलाया। अड़ियल को जिसने समझाया।। खुद को मार गिराये तैसे। बिन बोले रह पाऊँ कैसे।।०४।। उलझन में सिर का दर्द बना। चुप सहना रहता सदा मना।। कुछ हमको अब करना होगा। लगता राह बदलना होगा।। उनको देकर थोड़े पैसे। बिन बोले रह पाऊँ कैसे।।०५।। रचयिता:- राम किशोर पाठक प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना। संपर्क - 9835232978

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5/27/2025, 1:59:42 AM

वट- सावित्री - दोहें खास अमावस ज्येष्ठ को, मिलता ऐसा योग। पति की रक्षा कर सके, नारी निज उद्योग।।०१।। सती शक्ति भूषण सदा, नारी का सम्मान। जिसके आगे हैं झुकें, कृपा-सिंधु भगवान।।०२।। वट- सावित्री का जहाँ, पूजन शुद्ध विधान। सहज भाव करते वहाँ, शंकर कृपा प्रदान।।०३।। सत्यवान के प्राण को, लेकर यम प्रस्थान। सावित्री पीछे गयी, जहाँ मिली वरदान।।०४।। जीवन पति का मिला, वरद हुआ संतान। जगत ख्याति उसको मिली, सतीत्व बल पहचान।।०५।। कर्म वचन मन से सदा, रखती पति का ध्यान। सतीत्व उसको है मिला, जो दे पति पर जान।।०६।। बरगद द्योतक आयु का, दिखता भी बलवान। गुणकारी है मानकर, पूज रहा इंसान।।०७।। दौर आधुनिक आज है, समझे कुछ नादान। पूजन संस्कृति में सदा, छुपा हुआ विज्ञान।।०८।। नारी ममता खान है, यम से भी बलवान। सतीत्व बल जिसने गहा, झुका दिया आसमान।।०९।। सावित्री सीता कहें, अनसूया पहचान। जिनके सतीत्व का किए, वंदन है भगवान।।१०।। रचयिता:- राम किशोर पाठक प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना। संपर्क - 9835232978

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5/22/2025, 3:38:13 PM

जैव-विविधता दिवस - मनहरण घनाक्षरी भिन्न-भिन्न जीव जहाँ, बसती समृद्धि वहाँ, दुनिया में मिले सदा, जीव की विविधता। जीव-जंतु या मानव, कोई लघु या दानव, पेड़-पौधे संग सदा, रहे समरसता। रक्षित करें विकास, करिए कहीं निवास, भूतल, जल, आकाश, रखिए सजगता। पोषण करे प्रकृति, अन्वेषण की संस्कृति, विनाश लाती विकृति, बने न विवशता। रचयिता:- राम किशोर पाठक प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना। संपर्क - 9835232978

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5/28/2025, 12:11:49 PM

विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस विशेष। पकड़े उन्हें न बीमारी - लावणी छंद गीत आओं समझे हम नारी को, जिनकी महिमा है भारी। सृजन हमारा जिनसे होता, पकड़े उन्हें न बीमारी।। इनकी जैविक संरचना है, अलग-अलग भी पुरुषों से। मिला वरदान इनको न्यारी, तपते हुए संघर्षो से।। माँ बनने का केवल इनको, दिया प्रकृति जिम्मेदारी। सृजन हमारा जिनसे होता, पकड़े उन्हें न बीमारी।।०१।। उम्र किशोरी की आती तब, तन में होता परिवर्तन। तन को वैसी क्षमता मिलती, होता जिससे जगत सृजन।। यही चेतना की बेला है, समझे इसको हर नारी। सृजन हमारा जिनसे होता, पकड़े उन्हें न बीमारी।।०२।। रक्त स्राव है होता तन से, पाँच दिवस तक मासिक यह। सदा स्वच्छ तन रखना पड़ता, पीड़ा भी लेते हैं सह।। लज्जा का यह विषय नहीं है, बने नहीं यह लाचारी। सृजन हमारा जिनसे होता, पकड़े उन्हें न बीमारी।।०३।। अब जागृति अभियान चलाकर, सबको इतना समझायें। साधारण कपड़े छोड़ सभी, पैड सेनेटरी लायें।। नहीं संक्रमण होता इससे, हरती दुविधा है सारी। सृजन हमारा जिनसे होता, पकड़े उन्हें न बीमारी।।०४।। रक्त अधिक जो तन से निकले, या हो दर्द दुसह अक्सर। अन्य समस्या रहता कोई, कहें चिकित्सक से मिलकर।। लोक लाज को छोड़ें हम-सब, करें स्वास्थ्य की तैयारी। सृजन हमारा जिनसे होता, पकड़े उन्हें न बीमारी।।०५।। रचयिता:- राम किशोर पाठक प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना। संपर्क - 9835232978

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6/3/2025, 3:36:12 AM

साइकिल - मनहरण घनाक्षरी (एक प्रयास) दो चक्कों वाली वाहन, यातायात का साधन, साइकिल चलाकर, स्वास्थ्य को बनाइए। प्रदूषण न फैलाए, ईंधन नहीं लगाए, सुलभ कहीं भी जाए, सहज चलाइए। पैरों से बल प्रयोग, आजकल बना योग, करें यह दूर रोग, मन बहलाइए। कई रूपों में है आती, बच्चों के मन को भाती, महँगाई से बचाती, इसे अपनाइए। रचयिता:- राम किशोर पाठक प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना संपर्क - 9835232978

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6/2/2025, 11:10:13 AM

सीख- विजात छंद मुक्तक सदा वाणी सहज बोलें। नहीं विद्वेष को घोलें।। अगर कोई सताए तो। नहीं चुपचाप से रो लें।। अभी बचपन सुहाना है। सभी सपने सजाना है।। दबे कुचले नहीं रहना। नहीं धीरज दिखाना है।। खुशी आओ मनाना है। कदम तुझको बढ़ाना है।। अगर रोके कहीं कोई। तुझे ताकत दिखाना है।। मगर सतपथ तुझे चलना। अडिग विश्वास पर रहना। मिले जिस दिन प्रगति तुम्हें। नसीहत ध्यान में रखना।। हमारी सीख है इतनी। कहे कोई हमें कितनी।। भटकना छोड़कर प्यारे। करें हम कर्म हो जितनी।। यही नानी कही हँसकर। भरोसा तुम करो खुद पर।। वही होता सफल जग में। चला जिसने यहाँ डँटकर।। रचयिता:- राम किशोर पाठक प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना। संपर्क - 9835232978

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5/24/2025, 4:11:42 PM

सुनो बेटियों शस्त्र ले हाथ में अब अड़ो बेटियों। युद्ध तुम कालिका- सी लड़ो बेटियों।। आज तक लोग अबला समझते रहे। बोध तुम शौर्य का अब भरो बेटियों।। चांद कहते रहे तेज हरते रहे। सौम्यता गान पाना तजो बेटियों।। क्रूरता से डरो यह उचित है नहीं। क्रूरता चूर करने बढ़ो बेटियों।। नैन कोई दिखाए तुझे जो अगर। आँख उसका निकाले कहो बेटियों।। सब्र करना सतत धर्म मानी सदा। कब्रगाहें बनाने चलो बेटियों।। प्यार पाना सदा हक रहे हर जगह। प्यार में मिट सको तो बचो बेटियों।। चण्डिका रूप तेरा सभी जानते। रौद्र भाए कभी रूप को बेटियों।। हार मानो नहीं तुम जहाँ से कभी। जीत का जश्न खुद से गढ़ो बेटियों।। और उम्मीद को छोड़ दो तुम यहाँ। सर्व सामर्थ्य में तुम रहो बेटियों।। मंजिलें हैं कदम की निशानी बनी। पग खुशी से बढ़ाते चलो बेटियों।। रात कितनी भयावह रहें हों मगर। भोर होना प्रकृति है, सुनो बेटियों।। रचयिता:- राम किशोर पाठक प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना। संपर्क - 9835232978

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5/22/2025, 3:37:23 PM

मातृभाषा का शैक्षिक उपयोग - भूषण छंद जीवन का पहला अक्षर, जिस भाषा का होता स्वर। चित का तार जुड़े हर-पल, बहती है रसधार प्रखर।। लोरी जैसी होती यह, आती ममता भाव निखर। गहते जिससे सोच समझ, भाषाओं का यह रहबर।। आओ सोचें भी इसपर, शिक्षण होता है संबल। भाव- अर्थ को जोड़ सरल, हों पाने में समझ सफल।। दूसरे शब्द सदा सहज, आत्मसात कर सके सरल। समाधान संशय का यह, करते है विद्वान पहल।। किसी विषय का ज्ञान सहज, मातृ-भाषा सिखाती नित। पढ़ते सदा लगाकर मन, होते हैं सब आनंदित।। रटने वाली बात न कर, समझ सदा होती विकसित। शिक्षा में गुणवत्ता भर, रखती बच्चों को हर्षित।। रचयिता:- राम किशोर पाठक प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना। संपर्क - 9835232978

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