
PAHAL
February 3, 2025 at 01:47 AM
श्वेत पद्मासना देवी हस्ते स्फटिक मालिकाम्।
हंसारुढा नमस्तुभ्यम् वीणा पुस्तक धारिणीम्।।
वागीश्वरी नमस्तुभ्यम् ज्ञान चक्षु प्रबोधिनीम्।
देहि मे वरं मातु कण्ठे कुरु सुशोभनं।।
:- राम किशोर पाठक: