
PAHAL
February 17, 2025 at 05:30 AM
मोहन का रंग - देव घनाक्षरी
मोहन मुरली रखी,
राधा कहती हे सखी,
अब सांवरे को देखो, कैसे ढाएगा वो कहर।
गुलाबी होंठों का रंग,
नटखट का वो ढंग,
मंद मंद मुस्कान में, न छोड़ें वो कोई कसर।
दुनिया उसको माने,
जगत नियंता जाने,
पर वो मेरा दिवाना, मुझसे चुराए नजर।
पपीहे सा प्यासा मन,
देखे यशोदा नंदन,
तन मन खो जाता है, रहे न खुद की खबर।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना।
संपर्क - 9835232978