
PAHAL
February 18, 2025 at 01:49 PM
चहक वेदना
हैं खुद भय के साये में,
हम क्या तुझमें मुस्कान भरें।
मूर्छित पड़ी अरमान भी अपनी,
हम क्या तुझमें अरमान भरें।।
निर्देश दिया जाता हो जहॉं,
सर्कस का खेल दिखाने को।
नित जांच जहॉं चलती रहती,
बस अपराध बोध कराने को।।
हम मोहरा बनकर रह गये,
बस राजनीति चमकाने को।
शिक्षा को व्यवसाय बनाया,
अधिकारी की आय बढ़ाने को।।
हैं ढूंढ रहे हॅंसी व गरिमा अपनी,
जिससे तुझमें चहकान भरें।
गर 'पाठक' को मिल जाए गुरुता,
फिर तुझमें भी हर ज्ञान भरें।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना।
संपर्क - 9835232978