
संगठित रहोगे तो सुरक्षित रहोगे
February 17, 2025 at 05:24 AM
*एफआईआर दर्ज न करने पर एसएचओ के खिलाफ होगी सख्त कार्रवाईः तीन ऐतिहासिक फैसले और पुराने कानूनकी धारा 166(ए) को हटाकर, नया प्रावधान धारा 199 के रूप में शामिल किया गया है।*
अमित कुमार बनाम जोगिंदर सिंह और अन्य (2019) मामले में, अदालत ने एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया। याचिकाकर्ता ने धोखाधड़ी, जालसाजी, चोरी और गबन जैसे गंभीर अपराधों की शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन थाना प्रभारी (एसएचओ) ने एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया। इस पर अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि यदि कोई पुलिस अधिकारी किसी संज्ञेय अपराध (कॉग्निजेबल ऑफेंस) की सूचना मिलने के बावजूद एफआईआर दर्ज नहीं करता है, तो यह भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 166(ए) का उल्लंघन होगा, और उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार (2013) मामले में सुप्रीम कोर्टने स्पष्ट किया था कि, यदि किसी पुलिस अधिकारी को किसी संज्ञेय अपराध की सूचना मिलती है, तो उसके लिए एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है। प्रारंभिक जांच की कोई आवश्यकता नहीं है। अदालत ने कहा था कि एफआईआर दर्ज न करने से वंचित किया जा रहा है।
बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसलाः एफआईआर दर्ज न करना दंडनीय अपराध
श्यामसुंदर आर. अग्रवाल बनाम महाराष्ट्र राज्य (2007) मामले में बॉम्बे हाईकोर्टने कहा था कि, जब किसी संज्ञेय अपराध की सूचना पुलिस को दी जाती है, तो एफआईआर दर्ज करना कानूनी अनिवार्यता है। यदि, कोई पुलिस अधिकारी ऐसा करने में विफल रहता है, तो उसे धारा 166 के तहत दंडित किया जा सकता है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि, एफआईआर दर्ज न करनेवाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के साथ- साथ आपराधिक मामला भी चलाया जा सकता है।
नए कानून के तहत एसएचओ की जवाबदेही और बढ़ेगी
धारा 166ए को हटाकर नया प्रावधान धारा 199 के रूप में शामिल किया गया है।
बीएनएस, 2023 की धारा 199 कहती है:
(ख) जानबूझकर किसी व्यक्ति के प्रति प्रतिकूल प्रभाव डालते हुए, जांच करने के तरीके को विनियमित करने वाले कानून के किसी अन्य निर्देश की अवज्ञा करता है;
इसका सीधा अर्थ है कि, अब पुलिस अधिकारियों की जवाबदेही और बढ़ गई है, और यदि वे कानून द्वारा निर्देशित प्रक्रिया का पालन नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है। एफआईआर दर्ज न करने पर एसएचओ के खिलाफ होगी कार्रवाई। इन ऐतिहासिक फैसलों और नए कानून के लागू होने के बाद, यह स्पष्ट हो गया है कि, यदि कोई पुलिस अधिकारी संज्ञेय अपराध की सूचना के बावजूद एफआईआर दर्ज करने से इनकार करता है, तो उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। अब कोई भी पीड़ित नागरिक यदि पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज न करने की शिकायत करता है, तो संबंधित एसएचओ के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 की धारा 199 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है। यह फैसला पुलिस की जवाबदेही तय करता है, और नागरिकों के अधिकारोंकी रक्षा करता है।