सकुन ऐ शायरी 🥀
सकुन ऐ शायरी 🥀
February 21, 2025 at 04:31 AM
मंज़र धुंधला हो सकता है मंजिल नहीं, दौर बुरा हो सकता है ज़िन्दगी नहीं..

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