Galatfahmiyon Ki Islah
Galatfahmiyon Ki Islah
February 9, 2025 at 01:46 PM
ख़लीफ़ा -ए- ताजुश्-शरीआ़ अ़ल्लामा तत़हीर अह़मद रज़वी ह़फ़िज़हुल्लाह फ़रमाते हैं: हर मर्द की ख़्वाहिश होती है के जो मेरी है, उसका सब कुछ मेरा ही हो; ग़ैरत-दार मर्द ये गवारा नहीं करते के उनकी बीवी को कोई देखे या छुए या उसका बदन किसी के बदन से टच हो, सिवाए किसी मजबूरी के. एक औ़रत को छूने और देखने में लज़्ज़त ह़ासिल होना मर्द की फ़ित़रत है, तो नीम-बरहना, बे-पर्दा औ़रतें, जो बाज़ारों, सड़कों की भीड़ में दूसरों को ख़ुश करती हैं, उनका सब-कुछ अपने शौहर के लिए नहीं रहता, वो मुकम्मल त़ौर पर अपने शौहर की नहीं रहीं, क्योंकि और लोग भी उनसे लुत़्फ़-अंदोज़ होते हैं। 📙 [अफ़्कारे तत़हीर, सफ़ह़ा नं. 246, नाशिर: सिरात़ पब्लिकेशन्ज़ (इंडिया)] ______________ मुह़म्मद ज़ैद रज़ा क़ादिरी 09/02/2025
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