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Galatfahmiyon Ki Islah

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About Galatfahmiyon Ki Islah

"अगर छुरी को तेज़ करना हो, तो उसे रेती के साथ लगाओ और अगर दिमाग़ तेज़ करना है, तो किताब पढ़ो." मुन्तज़िम:- मुह़म्मद ज़ैद रज़ा क़ादिरी

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2/28/2025, 6:19:11 PM

अल्लाह तआ़ला ने आपको बेटी अ़त़ा फ़रमाई है, तो आक़ा (ﷺ) की सुन्नत पर अ़मल करते हुए, उसके हाथों को बोसा दिया करें और अपनी जगह से उठकर, उसे बिठाया करें. इस पर तब तक अ़मल करते रहें, जब तक के आप हमेशा के लिए जुदा न हो जायें. — मुह़म्मद ज़ैद रज़ा क़ादिरी

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3/1/2025, 4:54:48 PM

⚠️ जिस औ़रत की ह़या चली जाए ⚠️ जिस औ़रत की ह़या ख़त्म हो जाए, वो एक नहीं, कई-कई आ़शिक़ साथ रखने को फ़ख़्र समझती है और ऐसे बे-शुमार वाक़िआ़त हैं; चुनांचे एक औ़रत का अ़दालती बयान मुलाह़ज़ा हो: नज़ीर, रफ़ीक़, बाबू, सादिक़, ये चारों मेरे आ़शिक़ हैं, इनमें से कोई एक मिल जाए, तो मैं उसके साथ चली जाऊंगी; लेकिन मेरा शौहर दाऊद मेरे क़ाबिल नहीं. 📙 [जंग रावलपिंडी, 2 जुलाई, 1963 ई.] इस पर तब्सिरा करते हुए मुफ़्ती फ़ैज़ अह़मद ओवैसी रह़मतुल्लाहि तआ़ला अ़लैह फ़रमाते हैं: अभी चूंकि इब्तिदा है और दिल भी ज़नाना और कमज़ोर; डर के मारे ऐसा कहती है, वर्ना उसके दिल से पुछो, तो कह उठेगी के: "इनसे भी न जी भरा; करूं क्या करोड़ों जवां नहीं." मैंने उनके अंदरूनी जज़्बात की तर्जुमानी अपनी त़रफ़ से नहीं की, बल्कि ह़दीस शरीफ़ के फ़रमान के मुत़ाबिक़ अ़र्ज़ किया है. चुनांचे ह़ुज़ूर (ﷺ) ने इरशाद फ़रमाया: اربع لا تشبع من اربع ارض من مطر وانثى من ذكر وعين من نظر و عالم من علم۔ चार चीज़ें, चार चीज़ों से सैर नहीं होतीं: 1. ज़मीन, बारिश से; 2. औ़रत, ज़कर से; 3. आंख, देखने से; 4. आ़लिम, इ़ल्म से. 📙 [दुर्रे मंसूर, लि-सुयूत़ी, नं. 21] ह़दीस शरीफ़ की तस्दीक़ ख़ालिक़ दीना हाॅल के अंजुमन फ़लाह़े निस्वां के ज़रे एहतिमाम कराची की ख़वातीन और त़ालिबात के एक मुश्तरका जलसे की एक आवाज़ ने फ़रमाई, जबकि उन्होंने आ़इली क़वानीन की तनसीख़ के ख़िलाफ़ तक़रीरें कीं। एक मुक़र्रिरा साह़िबा ने इरशाद फ़रमाया के अगर मर्दों को चार शादियां करने की इजाज़त दी जा सकती है, तो औ़रतों को भी चार शौहर रखने की इजाज़त दी जाये। 📙 [जंग कराची, 12 जुलाई, 1962 ई.] अल्लाह रह़म फ़रमाए. अब तो ह़ालात बहुत ज़ियादा ख़राब हो चुके हैं. देखने में आता है के औ़रत तो औ़रत, जिनका शुमार बच्चियों में किया जाता है, वो भी कई-कई आ़शिक़ रखे हुए हैं. इसमें ख़ास त़ौर से वो आगे हैं, जो पढ़ी-लिखी हैं; बे-पढ़ी फिर भी इनसे ज़ियादा ह़या वाली हैं. अल्लाह (अ़ज़्ज़ व जल्ल) हमें सीधा रास्ता चलाए. नोट:- ये तह़रीर 'कॉलेज और लड़की' किताब से ली है. ______________ मुह़म्मद ज़ैद रज़ा क़ादिरी 01/03/2025

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2/27/2025, 4:52:39 PM
❤️ 👍 ♥️ 💕 💚 🤲 🥹 21
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2/26/2025, 1:05:28 PM

Shamaile Muhammadiya Tarjuma Banaam Shamaile Tirmizi Is Kitab Ke Bare Men Ulama Farmate Hain: Jisne Is Kitab Ko Dil Laga Kar Mukammal Padh Liya, To Goya Usne Rasoole Paak (ﷺ) Ko Dekh Liya. Subhan Allah 🥹 Order Now: 6395380738 https://whatsapp.com/channel/0029Vb75gnO9mrGcvU0uwP3W

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2/14/2025, 2:32:02 PM

⚠️ जब अल्लाह (ﷻ) इ़ज़्ज़त देना चाहता है ⚠️ ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम अबू क़ासिम अ़ब्दुल करीम हवाज़िन क़ुशैरी अ़लैहिर्रह़मा फ़रमाते हैं: "कहते हैं जब अल्लाह तआ़ला अपने बन्दे को मुसीबत की ज़िल्लत से निकाल कर इ़बादत की इ़ज़्ज़त की त़रफ़ ले जाने का इरादा फ़रमाता है, तो उसे तन्हाई से मानूस कर देता है, क़नाअ़त की दौलत से इस्तिग़्ना दे देता है, उसे उसके ऐ़ब दिखाता है; और जिसे ये नेअ़्मतें मिल गईं, तो गोया उसे दुनिया व आख़िरत की हर बेहतरी मिल गई." 📙 [रिसाला क़ुशैरिय्या, सफ़ह़ा नं. 163, नाशिर: मुश्ताक़ बुक कॉर्नर (लाहौर)] ______________ मुह़म्मद ज़ैद रज़ा क़ादिरी 14/02/2025

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2/14/2025, 11:35:16 AM

इस शख़्स ने हमारे चैनल के नाम से ही अपना चैनल बनाया और उस पर हमारी ही डी.पी लगाई और बहुत सफ़ाई से तह़रीरें चुराना शुरूअ़् कर दीं. ये जुर्म अब बहुत ज़ियादा बढ़ता जा रहा है, शोहरत का ऐसा भूत सवार है के कुछ नज़र नहीं आता. मेरी ख़ुद की तह़रीरों के साथ इतनी ज़ियादा छेड़छाड़ की जा रही है के वो इसी ह़ालत में हज़ारों लोगों तक जा रही हैं; बाक़ी और उ़लमा के साथ भी ऐसा होना आ़म बात हो गई है. ये काम सिर्फ़ आ़म लोग ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि बहुत बड़े-बड़े व्हाट्स ऐप चैनल वाले कर रहे हैं. इस पर ग़ौर करने की ज़रूरत है, वर्ना इसमें मज़ीद इज़ाफ़ा होगा. इनमें बा'ज़ तो इतने ज़ियादा शर्म से आ़री हैं के दूसरे की निय्यत पर ही ह़मला कर देते हैं, लेकिन उन्हें अपने कारनामे नज़र नहीं आते. अल्लाह (अ़ज़्ज़ व जल्ल) हिदायत अ़त़ा फ़रमाए.

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2/14/2025, 6:57:55 AM

"....अगर मैं तुम जैसों को गुनाहों से बचाए रखूं, तो मेरी रह़मत किस पर होगी?" 🥹

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2/15/2025, 4:41:47 PM

⚠️ किसी की तह़रीर में अपना नाम डालना ⚠️ बा'ज़ लोगों को लिखारी बनने का बहुत शौक़ है, अब ख़ुद में तो इतनी सलाह़ियत है नहीं के वो कुछ लिख सकें, तो उन्हें जहां कोई अच्छी तह़रीर नज़र आती है, फ़ौरन उचक लेते हैं और ख़ुद में समझते हैं के उन्होंने बहुत बड़ा कारनामा अंजाम दिया है. इनमें बा'ज़ तो इतने ज़ियादा ढीट हैं के उन पर "उल्टा चोर, कोतवाल को डाँटे" वाली मिसाल सादिक़ आती है, लेकिन फिर भी वो सर्क़े-बाज़ी से बा'ज़ नहीं आते. इसमें सिर्फ़ आ़म लोग ही शामिल नहीं, बल्कि नाम निहाद सनद-याफ़्ता भी शामिल हैं; मदरसे में मेह़नत की नहीं, तो अब ये तो करेंगे ही. सय्यिदुना अबुल ह़सन अ़ली बिन उ़स्मान हजवेरी (दाता साह़िब) रह़मतुल्लाहि अ़लैह ने "मिन्हाजुद्दीन" किताब लिखी, तो एक चर्ब-ज़बान शख़्स ने उससे आपका नाम मिटाकर अपना लिख दिया, और लोगों से कहा ये मेरी किताब है. अल्लाह तआ़ला ने उस पर बे-बरकती मुसल्लत़ कर दी और उसका नाम त़ालिबाने दरगाह की फ़ेहरिस्त से ख़ारिज कर दिया. 📙 [तह़रीराते लुक़मान, सफ़ह़ा नं. 388, नाशिर: साबिया वर्चुअल पब्लिकेशन] ये दूसरों की तह़रीरें चुराने वाले बे-किये अपनी ता'रीफ़ चाहते हैं और ऐसों के लिए अल्लाह (अ़ज़्ज़ व जल्ल) क़ुरआन 3:188 में इरशाद फ़रमाता है: "لَا تَحْسَبَنَّ الَّذِیْنَ یَفْرَحُوْنَ بِمَاۤ اَتَوْا وَّ یُحِبُّوْنَ اَنْ یُّحْمَدُوْا بِمَا لَمْ یَفْعَلُوْا فَلَا تَحْسَبَنَّهُمْ بِمَفَازَةٍ مِّنَ الْعَذَابِۚ-وَ لَهُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ۔" "हरगिज़ न समझना उन्हें जो ख़ुश होते हैं अपने किये पर और चाहते हैं के बे किये उनकी ता'रीफ़ हो, ऐसों को हरगिज़ अ़ज़ाब से दूर न जानना; और उनके लिए दर्दनाक अ़ज़ाब है." [कंज़ुल ईमान] इसकी तफ़सीर में अबू सालेह़ मुफ़्ती मुह़म्मद क़ासिम क़ादिरी ह़फ़िज़हुल्लाह लिखते हैं: ये आयत उन यहूदियों के बारे में नाज़िल हुई, जो लोगों को धोका देने और गुमराह करने पर ख़ुश होते और नादान और जाहिल होने के बा-वुजूद ये पसंद करते के उन्हें आ़लिम कहा जाए. 📙 [सिरात़ुल जिनान, जिल्द नं. 2, सफ़ह़ा नं. 131, नाशिर: मक्तबतुल मदीना (कराची)] ये "प्रोफ़ेशनल चोर" भी बे-किये अपनी ता'रीफ़ चाहते हैं; और अंदर से खाली होने के बा-वुजूद ख़ुद को आ़लिम कहलवाना चाहते हैं और फिर दूसरों की तह़रीरें चुराना तो वैसे भी गुनाह है, तो ये भी ज़रूर इसकी सज़ा पाएंगे. कुछ लोगों को मैं देखता हूं के वो दूसरों की पोस्ट और तह़रीर में अपना नाम तो नहीं डालते, मगर बहुत सफ़ाई से उससे लिखने वाले का नाम हटा देते हैं. मैं उनसे कहता हूं के दिल में वुस्अ़त पैदा करें और सोचें के अगर आपकी तह़रीर के साथ ऐसा किया जाए, तो आपको कैसा लगेगा? अल्लाह (ﷻ) हमें इस हरकत से मह़फ़ूज़ फ़रमाए. ______________ मुह़म्मद ज़ैद रज़ा क़ादिरी 15/02/2025

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2/14/2025, 12:28:25 AM

⚠️ रोज़ा रखने की निय्यतें ⚠️ जो रोज़ा रखें, वो अच्छी-अच्छी निय्यतें कर लें, ताकि सवाब ज़ियादा मिले, और सिर्फ़ पेट का रोज़ा न रखें, बल्कि ज़बान, आंख, कान, हाथ, पांव और दीगर आ'ज़ा का भी रोज़ा रखें या'नी इन्हें गुनाहों से बचाएं. अगर पहले से आपके ऊपर कोई रोज़ा हो, तो उसकी क़ज़ा की निय्यत करें के नफ़्ल बा'द में है, फ़र्ज़ पहले. बेहतर होगा के तमाम दिन क़ुरआन को तफ़सीर से पढ़ें या दूसरी दीनी कुतुब का मुत़ालआ़ करें. सारा दिन नहीं, तो अगर 5 घंटे भी मुत़ालआ़ करेंगे, तो तक़रीबन 100 सफ़ह़ात पढ़ लेंगे. चंद निय्यतें लिख देता हूं, बाक़ी और भी अच्छी-अच्छी निय्यतें कर सकते हैं: 1. रिज़ाए इलाही के लिए रोज़ा रखूंगा. 2. रोज़ा न रखने वालों को ह़क़ीर नहीं समझूंगा. 3. दिखावे के लिए रोज़ा नहीं रखूंगा. 4. शर्मगाह और पेट की शहवत तोड़ूंगा. 5. अपने आ'ज़ा को गुनाहों से बचाऊंगा. 6. बिला ज़रूरत फ़ोन नहीं चलाऊंगा. 7. सारा दिन मुत़ालआ़ करूंगा. 8. दूसरों पर अपना रोज़ा ज़ाहिर करने से बचूंगा. इनके अ़लावा और भी अच्छी-अच्छी निय्यतें कर सकते हैं. अल्लाह इख़्लास के साथ तमाम आ'माल करने की तौफ़ीक़ बख़्शे. ______________ मुह़म्मद ज़ैद रज़ा क़ादिरी 14/02/2025

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2/13/2025, 3:43:23 PM

"जिस चीज़ की टटोल तुम अपने लिए मुनासिब नहीं जानते, उसे दूसरों में (भी) न टटोलो." — ह़ज़रते अबू सालेह़ हमदून (अ़लैहिर्रह़मा)

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