Galatfahmiyon Ki Islah
Galatfahmiyon Ki Islah
February 15, 2025 at 04:41 PM
⚠️ किसी की तह़रीर में अपना नाम डालना ⚠️ बा'ज़ लोगों को लिखारी बनने का बहुत शौक़ है, अब ख़ुद में तो इतनी सलाह़ियत है नहीं के वो कुछ लिख सकें, तो उन्हें जहां कोई अच्छी तह़रीर नज़र आती है, फ़ौरन उचक लेते हैं और ख़ुद में समझते हैं के उन्होंने बहुत बड़ा कारनामा अंजाम दिया है. इनमें बा'ज़ तो इतने ज़ियादा ढीट हैं के उन पर "उल्टा चोर, कोतवाल को डाँटे" वाली मिसाल सादिक़ आती है, लेकिन फिर भी वो सर्क़े-बाज़ी से बा'ज़ नहीं आते. इसमें सिर्फ़ आ़म लोग ही शामिल नहीं, बल्कि नाम निहाद सनद-याफ़्ता भी शामिल हैं; मदरसे में मेह़नत की नहीं, तो अब ये तो करेंगे ही. सय्यिदुना अबुल ह़सन अ़ली बिन उ़स्मान हजवेरी (दाता साह़िब) रह़मतुल्लाहि अ़लैह ने "मिन्हाजुद्दीन" किताब लिखी, तो एक चर्ब-ज़बान शख़्स ने उससे आपका नाम मिटाकर अपना लिख दिया, और लोगों से कहा ये मेरी किताब है. अल्लाह तआ़ला ने उस पर बे-बरकती मुसल्लत़ कर दी और उसका नाम त़ालिबाने दरगाह की फ़ेहरिस्त से ख़ारिज कर दिया. 📙 [तह़रीराते लुक़मान, सफ़ह़ा नं. 388, नाशिर: साबिया वर्चुअल पब्लिकेशन] ये दूसरों की तह़रीरें चुराने वाले बे-किये अपनी ता'रीफ़ चाहते हैं और ऐसों के लिए अल्लाह (अ़ज़्ज़ व जल्ल) क़ुरआन 3:188 में इरशाद फ़रमाता है: "لَا تَحْسَبَنَّ الَّذِیْنَ یَفْرَحُوْنَ بِمَاۤ اَتَوْا وَّ یُحِبُّوْنَ اَنْ یُّحْمَدُوْا بِمَا لَمْ یَفْعَلُوْا فَلَا تَحْسَبَنَّهُمْ بِمَفَازَةٍ مِّنَ الْعَذَابِۚ-وَ لَهُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ۔" "हरगिज़ न समझना उन्हें जो ख़ुश होते हैं अपने किये पर और चाहते हैं के बे किये उनकी ता'रीफ़ हो, ऐसों को हरगिज़ अ़ज़ाब से दूर न जानना; और उनके लिए दर्दनाक अ़ज़ाब है." [कंज़ुल ईमान] इसकी तफ़सीर में अबू सालेह़ मुफ़्ती मुह़म्मद क़ासिम क़ादिरी ह़फ़िज़हुल्लाह लिखते हैं: ये आयत उन यहूदियों के बारे में नाज़िल हुई, जो लोगों को धोका देने और गुमराह करने पर ख़ुश होते और नादान और जाहिल होने के बा-वुजूद ये पसंद करते के उन्हें आ़लिम कहा जाए. 📙 [सिरात़ुल जिनान, जिल्द नं. 2, सफ़ह़ा नं. 131, नाशिर: मक्तबतुल मदीना (कराची)] ये "प्रोफ़ेशनल चोर" भी बे-किये अपनी ता'रीफ़ चाहते हैं; और अंदर से खाली होने के बा-वुजूद ख़ुद को आ़लिम कहलवाना चाहते हैं और फिर दूसरों की तह़रीरें चुराना तो वैसे भी गुनाह है, तो ये भी ज़रूर इसकी सज़ा पाएंगे. कुछ लोगों को मैं देखता हूं के वो दूसरों की पोस्ट और तह़रीर में अपना नाम तो नहीं डालते, मगर बहुत सफ़ाई से उससे लिखने वाले का नाम हटा देते हैं. मैं उनसे कहता हूं के दिल में वुस्अ़त पैदा करें और सोचें के अगर आपकी तह़रीर के साथ ऐसा किया जाए, तो आपको कैसा लगेगा? अल्लाह (ﷻ) हमें इस हरकत से मह़फ़ूज़ फ़रमाए. ______________ मुह़म्मद ज़ैद रज़ा क़ादिरी 15/02/2025
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