
Galatfahmiyon Ki Islah
March 1, 2025 at 04:54 PM
⚠️ जिस औ़रत की ह़या चली जाए ⚠️
जिस औ़रत की ह़या ख़त्म हो जाए, वो एक नहीं, कई-कई आ़शिक़ साथ रखने को फ़ख़्र समझती है और ऐसे बे-शुमार वाक़िआ़त हैं; चुनांचे एक औ़रत का अ़दालती बयान मुलाह़ज़ा हो:
नज़ीर, रफ़ीक़, बाबू, सादिक़, ये चारों मेरे आ़शिक़ हैं, इनमें से कोई एक मिल जाए, तो मैं उसके साथ चली जाऊंगी; लेकिन मेरा शौहर दाऊद मेरे क़ाबिल नहीं.
📙 [जंग रावलपिंडी, 2 जुलाई, 1963 ई.]
इस पर तब्सिरा करते हुए मुफ़्ती फ़ैज़ अह़मद ओवैसी रह़मतुल्लाहि तआ़ला अ़लैह फ़रमाते हैं:
अभी चूंकि इब्तिदा है और दिल भी ज़नाना और कमज़ोर; डर के मारे ऐसा कहती है, वर्ना उसके दिल से पुछो, तो कह उठेगी के:
"इनसे भी न जी भरा;
करूं क्या करोड़ों जवां नहीं."
मैंने उनके अंदरूनी जज़्बात की तर्जुमानी अपनी त़रफ़ से नहीं की, बल्कि ह़दीस शरीफ़ के फ़रमान के मुत़ाबिक़ अ़र्ज़ किया है.
चुनांचे ह़ुज़ूर (ﷺ) ने इरशाद फ़रमाया:
اربع لا تشبع من اربع ارض من مطر وانثى من ذكر وعين من نظر و عالم من علم۔
चार चीज़ें, चार चीज़ों से सैर नहीं होतीं:
1. ज़मीन, बारिश से;
2. औ़रत, ज़कर से;
3. आंख, देखने से;
4. आ़लिम, इ़ल्म से.
📙 [दुर्रे मंसूर, लि-सुयूत़ी, नं. 21]
ह़दीस शरीफ़ की तस्दीक़ ख़ालिक़ दीना हाॅल के अंजुमन फ़लाह़े निस्वां के ज़रे एहतिमाम कराची की ख़वातीन और त़ालिबात के एक मुश्तरका जलसे की एक आवाज़ ने फ़रमाई, जबकि उन्होंने आ़इली क़वानीन की तनसीख़ के ख़िलाफ़ तक़रीरें कीं। एक मुक़र्रिरा साह़िबा ने इरशाद फ़रमाया के अगर मर्दों को चार शादियां करने की इजाज़त दी जा सकती है, तो औ़रतों को भी चार शौहर रखने की इजाज़त दी जाये।
📙 [जंग कराची, 12 जुलाई, 1962 ई.]
अल्लाह रह़म फ़रमाए. अब तो ह़ालात बहुत ज़ियादा ख़राब हो चुके हैं. देखने में आता है के औ़रत तो औ़रत, जिनका शुमार बच्चियों में किया जाता है, वो भी कई-कई आ़शिक़ रखे हुए हैं.
इसमें ख़ास त़ौर से वो आगे हैं, जो पढ़ी-लिखी हैं; बे-पढ़ी फिर भी इनसे ज़ियादा ह़या वाली हैं.
अल्लाह (अ़ज़्ज़ व जल्ल) हमें सीधा रास्ता चलाए.
नोट:- ये तह़रीर 'कॉलेज और लड़की' किताब से ली है.
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मुह़म्मद ज़ैद रज़ा क़ादिरी
01/03/2025
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