
Lost Muslim Heritage of Bihar
February 6, 2025 at 01:58 PM
10 जनवरी 1913 को ई एम फ़ॉस्टर पटना के बांकीपुर पहुचते हैं, जहाँ उसका इस्तक़बाल सर सैयद अहमद ख़ान के पोते और उस समय पटना कॉलेजिएट स्कूल के प्रिंसिपल सैयद रॉस मसूद करते हैं। फ़ॉस्टर कुछ दिनों तक पटना में रहते हैं और आस पास के इलाक़े का दौरा करते हैं।
बांकीपुर के बारे में फ़ॉस्टर 15 जनवरी 1913 को अपनी वालिदा को ख़त में लिखा के पटना से भागना नामुमकिन है, क्यूंकि एक तरफ़ गंगा नदी है और दूसरी जानिब पानी से डूबा हुआ धान का खेत! और इस पर मैंने तब तक यक़ीन नहीं किया जब तक मैंने ख़ुद साइकिल चला कर इलाक़े का दौरा नहीं कर लिया।
इसी बीच वो इलाहाबाद में अपने दोस्त असिस्टेंट मैजिस्ट्रेट रुपर्ट स्मिथ के बुलावे पर पटना से कुंभ मेला देखने निकल पड़ते हैं। और रास्ते में वो गया भी रुकते हैं। वहाँ उनकी मुलाक़ात नवाब सैयद इमदाद असर से होती है और उनके और उनके भतीजों(?) के साथ हाथी पर सवार होकर वो बराबर की गुफ़ाएँ देखने जाते हैं।
इसके इलावा वो बौद्ध गया के ऐतिहासिक मंदिर भी जाते हैं, जिसके बारे में उन्होंने 29 जनवरी 1913 को अपनी वालिदा को ख़त में लिखा के मसूद ने सारा इंतज़ाम कर दिया और वो नवाब सैयद ज़फ़र अबू सालेह की सवारी पर बौद्ध गया आए हैं। और इस जगह को विष्णुपद मंदिर समझ कर कन्फ्यूज़ नहीं होना है।
और फिर इसके बाद वो गया से इलाहाबाद के लिए निकल पड़ते हैं और वहाँ प्रयाग में संगम तट पर कुंभ के स्नान को देखते हैं।
अब सवाल ये उठता है कि मैं इसकी बात क्यों कर रहा हूँ?
असल में ई एम फ़ॉस्टर ब्रिटेन के प्रसिद्ध साहित्यकार थे, जिन्होंने कई किताबें लिखी। जिसमें उनका नावेल ‘ए पैसेज टू इंडिया’ जो 1924 में छपी थी, ने बहुत मक़बूलियत पाई। यहाँ तक कि 1984 में इस किताब पर फ़िल्म बनी जिसने ऑस्कर सहित दर्जन भर पुरस्कार जीते।
ये फ़िल्म उस नावेल पर आधारित है जिसमे उन्होंने बिहार के बांकीपुर और गया के इतराफ़ के इलाक़े के साथ यहाँ के कुछ लोगों को बख़ूबी दिखाया है। जिसमें बराबर की गुफाएं से लेकर नवाब इमदाद भी हैं।
और इन सारी जगह को ई एम फ़ॉस्टर ने ख़ुद घूमा और देखा है जिसका ज़िक्र ऊपर किया गया है।
- (?) नवाब सैयद ज़फ़र अबू सालेह और नवाब सैयद इमदाद असर के बीच रिश्ता ये है कि नवाब अबू सालेह की शादी नेवरा में जस्टिस सैयद शरफ़ुद्दीन साहब की साहबज़ादी से हुई थी। और नवाब सैयद इमदाद असर ख़ुद जस्टिस सैयद शरफ़ुद्दीन के अपने बहनोई थे। इस तरह से नवाब सालेह और नवाब इमदाद के बीच दामाद ससुर का रिश्ता था।
- तस्वीर में ई एम फ़ॉस्टर अपने दोस्त सैयद रॉस मसूद के साथ दिख रहे हैं जिनको डेडिकेटेड करते हुए उन्होंने नावेल ‘ए पैसेज टू इंडिया’ लिखा था।
- Md Umar Ashraf
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