Lost Muslim Heritage of Bihar
February 25, 2025 at 12:32 PM
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एनी बेसेंट और मदन मोहन मालवीय ने पहले सेंट्रल हिंदू कॉलेज खोला , जो बाद में BHU में तब्दील हो गया।
ठीक ऐसे ही सर सैयद अहमद ख़ान ने मोहम्मडन ओरिएलंटल कॉलेज बनाया जो बाद में AMU में तब्दील हुआ।
अब कोई ये कह दे नहीं के मदन मोहन मालवीय ने BHU और सर सैयद ने AMU नहीं बनवाया है, तो ये तो दिमाग़ की ख़राबी है?
ठीक ऐसा पटना मेडिकल कॉलेज के साथ है, अंग्रेज़ों ने जब पटना में टेंपल मेडिकल स्कूल खोला तो उसके लिए लोगों से समर्थन मांगा, सबने अपनी हैसियत से सहयोग दिया। और उसमे जिस इंसान ने सबसे ज़्यादा हिस्सा लिया वो थे, गुज़री के नवाब विलायत अली ख़ान बहादुर, उन्होंने पटना कॉलेज, बिहार इंजीनियरिंग स्कूल और टेंपल मेडिकल स्कूल में के स्थापना में निजी तौर पर हिस्सा लिया। क्यूंकि ये संस्थान उनके शहर में खुल रहा था। उन्होंने बड़ी रक़म इसके लिए दान दी। बांकीपुर जनरल हॉस्पिटल बना तो उसमे गुज़री के नवाबों ने बड़ा फंड दिया। यही वजह है की आज भी वहाँ हथुआ वार्ड के साथ गुज़री वार्ड भी है। इन तमाम इदारों को आगे बढ़ाने में बादशाह नवाब रिज़वी, ख़ुर्शीद नवाब, नवाब विलायत अली, नवाब लुत्फ़ अली, नवाब सैयद मीर अबू सईद, क़ाज़ी रज़ा हुसैन जैसे लोगों ने तन मन धन से साथ दिया।
ये बात भी क़ाबिल ए ज़िक्र है कि टेंपल मेडिकल स्कूल जिस जगह पहली बार खुला, वो जायदाद कारा (औरंगाबाद) के नवाबों का था, ये वही हैं जिनके पास 1919 तक क़िला हाउस (जालान क़िला) था। बाद में टेंपल मेडिकल स्कूल जिस जगह शिफ़्ट हुआ वो शाहज़ादा मुराद सफ़वी का बाग़ था।
टेंपल मेडिकल स्कूल, अलग बिहार राज्य बनने के बाद, मेडिकल कॉलेज के रूप में तब्दील हुआ। और इसमें बड़ा फण्ड प्रिंस ऑफ़ वेल्स के बिहार दौरे को यादगार बनाने के लिए जमा किए गए रक़म का हिस्सा था, इसलिए जब स्कूल सर गणेश दत्त और सर मुहम्मद फ़ख़रुद्दीन की कोशिशों की वजह कर कॉलेज में तब्दील हुआ, तो कॉलेज का नाम प्रिंस ऑफ़ वेल्स मेडिकल कॉलेज रखा गया। आज़ादी के बाद के दिनों में डॉ महमूद शाह की अध्यक्षता में इसका नाम डॉ राजेंद्र प्रसाद के नाम पर रखने का सुझाव दिया गया। पर राजेंद्र प्रसाद के पहल पर इसका नाम पटना मेडिकल कॉलेज रखा गया। वहीं नवाब विलायत अली ख़ान बहादुर की कोशिशों की वजह कर जो टेंपल मेडिकल स्कूल पटना में खुला था, उसे कॉलेज बनने के बाद दरभंगा शिफ़्ट कर दिया गया, जो कुछ साल बाद दरभंगा मेडिकल कॉलेज में तब्दील हो गया। और इसके लिए महाराज दरभंगा ने बड़ी रक़म भी डोनेट की थी।
- अब कुछ लोगों को लगता है कि हर चीज़ उन्होंने किया। ऐसा नहीं है कि उन्होंने नहीं किया है, लेकिन सिर्फ़ उन्होंने नहीं किया।
- Md Umar Ashraf
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