
Lost Muslim Heritage of Bihar
February 27, 2025 at 10:18 AM
कई सारी चीज़ें ख़त्म होती जा रही हैं जिसमें एक ये घर पर बनाई जाने वाली सेवइयां भी हैं। आंटे या मैदे से बनने वाली ये सेवइयां रमज़ान शुरू होने से पहले लगभग तमाम घरों में बनाई जाती थी क्योंकि इस मशीन को चलाने में काफी मेहनत लगती है इसीलिए रमज़ान से पहले ही इस मेहनत वाले काम को मुकम्मल कर के रमज़ान और ईद के लिए सेवइयां बना कर इकट्ठी कर ली जाती थीं।
आम तौर पर मोहल्ले के कुछ घरों में ही ये मशीन होती थी इसीलिए कई घर की औरतें एक साथ मिल कर बनाती थीं इसका एक फायदा ये भी होता था के ज़्यादा लोग होते तो बारी बारी से इस मशीन को चलते थे जिससे कम मेहनत लगती थी।
पहले इसे इस मशीन से पेड़ा जाता था फिर इन लड़ियों को तोड़ कर धूप में सुखाया जाता और अच्छी तरह सूख जाने के बाद इसे छोटे साइज़ में तोड़कर भूना जाता था फिर अलग अलग तरह से इसे इस्तेमाल किया जाता था। कुल मिलाकर बहुत झंझट वाला काम था।
आजकल बाज़ारो में आसानी से इसके मुताबादिल सेवइयां मौजूद हैं इसीलिए अब इसका रिवाज बहुत कम रह गया है।
आपलोगों ने ये मशीन चलाई हैं क्या,मैं ने तो बहुत चलाया है।😊
Photo - Sanaullah Siddiqui
Via - Iqbal Nasar
https://x.com/lmhobofficial/status/1895051750312419452?s=46&t=6BUBKudGW-H3P0HvPCtkhQ
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