नीरज कौशिक-एक साधारण स्वयंसेवक
February 16, 2025 at 12:37 AM
धन माया सब यहीं रह जाएगी
सत्कर्मों की मेहनत काम आएगी
यही कुल समाज की कीर्ति बढ़ाएगी
प्रसन्नता की खेती लहलहाएगी