नीरज कौशिक-एक साधारण स्वयंसेवक
February 21, 2025 at 01:44 AM
उन सभी सम्मानित साथियों के अंतिम समय में मनोभाव जो पुण्य सलिला मातृभूमि के लिए बहुत कुछ करना चाहते थे,लेकिन नहीं कर पाए।आइए अभी भी समय है। अपने कर्म और कुल के संस्कारों का मान बढ़ाएं।
- नीरज कौशिक
हिंदी हैं हम' शब्द शृंखला में आज का शब्द है- सलोना, जिसका अर्थ है- जिसमें नमक पड़ा हो, नमकीन, सुन्दर। प्रस्तुत है रामावतार त्यागी की कविता- बुझते दीप का आत्म-निवेदन
अपनी उम्र कर चुका पूरी
छूट गए सब काम अधूरे
मेरे अशुभ अनमने सिरजन
अशुभ मुझको कभी क्षमा मत करना।
जीवन का अमृत निचोड़कर प्यासे यम को पिला दिया है
मैंने अपनी माँ के पुण्यों को मिट्टी में मिला दिया है,
मेरे रचनाकार, तुम्हारे
फूल अगर रह जाए अनचुने
ओ मेरे पद दलित आचमन
मुझको कभी क्षमा मत करना।
ले डूबेगा बीच भंवर में इसका मुझको नहीं ज्ञान था
अपने मन पर मुझको अपने भाई से ज़्यादा गुमान था
अपने ही विश्वास घात से
मेरे सब संकल्प पराजित
ओ मेरे उदास घर-आँगन
मुझको कभी क्षमा मत करना।
ममता दृष्टि माँगती, यौवन माँग रहा शृंगार सलोना
बचपन मार-मार किलकारी माँग रहा है सुघर खिलौना
मैं कर्त्तव्यहीन, मैं कायर
जो बिक जाता मृत्यु के हाथों
मुझ पनघट के प्यासे बचपन
मुझको कभी क्षमा मत करना।