नियम उपनियम
नियम उपनियम
February 25, 2025 at 01:50 AM
‌‌ *जीवन दर्शन* मनुष्य मात्र एक भूलने और सीखने वाली चेतना है। त्रुटियाँ उसकी प्रकृति का हिस्सा हैं, परंतु उन्हीं त्रुटियों पर अडिग रहना अज्ञानता और अहंकार का प्रतीक है। वास्तविक बुद्धिमत्ता वही है, जो अपनी भूलों को स्वीकार कर, उनसे सीखकर, स्वयं को परिष्कृत करते हुए आगे बढ़े। जो अपनी गलतियों को सुधारने का साहस रखते हैं, वे ही जीवन में उच्च शिखरों को स्पर्श करते हैं। अतः त्रुटि करने से न घबराएँ, परंतु उसे दोहराने से अवश्य बचें। हर गलती एक सीख है ,बस उसे सही दृष्टि से देखने की आवश्यकता है।

Comments