
अदल तौहीद
February 7, 2025 at 03:30 PM
हज़रत रिफ़ाआ-बिन-राफ़ेअ (रज़ि०) से रिवायत है, फ़रमाते हैं:एक बार ऐसा हुआ कि रसूलअल्लाह ﷺ (मस्जिद में) बैठे थे और हम आप के आस-पास (हलक़ा बाँधे हुए) थे। इतने में एक आदमी आया और वो मस्जिद की क़िबले वाली दीवार के पास जा कर नमाज़ पढ़ने लगा।जब उसने नमाज़ मुकम्मल कर ली तो वो आया और रसूलअल्लाह ﷺ को और सब लोगों को सलाम किया। रसूलअल्लाह ﷺ ने सलाम का जवाब दिया और फ़रमाया: जा फिर नमाज़ पढ़ क्योंकि तूने नमाज़ नहीं पढ़ी। वो गया और फिर नमाज़ पढ़ी। रसूलअल्लाह ﷺ उसकी नमाज़ को ग़ौर से देखते रहे।उसे इल्म नहीं था कि आप उसकी कौन-सी ग़लती पकड़ रहे हैं। जब वो नमाज़ पढ़ चुका तो फिर आया और रसूलअल्लाह ﷺ को और सब लोगों को सलाम किया। रसूलअल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:( وعلیک ) जा नमाज़ पढ़, तूने नमाज़ नहीं पढ़ी।उसने दो या तीन बार नमाज़ पढ़ी। आख़िर उसने कहा:ऐ अल्लाह के रसूल! आपने मेरी नमाज़ में क्या ग़लती महसूस की है? आपने फ़रमाया: तुम में से किसी की नमाज़ मुकम्मल नहीं होती जब तक वो अच्छी तरह वुज़ू न करे जिस तरह कि अल्लाह ने उसे हुक्म दिया है यानी वो अपना चेहरा और कोहनियों तक हाथ धोए।अपने सिर का मसह करे और टख़नों तक पाँव धोए। फिर (अल्लाहु-अकबर) कहे और शानवाले अल्लाह की हम्द और बुज़ुर्गी बयान करे (तारीफ़ पढ़े),और जो क़ुरआन उसे आसान हो जो उसे अल्लाह ने सिखलाया है और उसे तौफ़ीक़ दी है पढ़े। फिर (अल्लाहु-अकबर) कह कर रुकूअ करे यहाँ तक कि उसके जोड़ मुत्मइन हो जाएँ और अपनी मौजूदा जगह पर ठहर जाएँ। फिर वो (سمع اللہ لمن حمدہ) कह कर सीधा खड़ा हो जाए और अपनी पीठ को बिल्कुल अपनी असली हालत में करे। फिर (अल्लाहु-अकबर) कह कर सजदा करे यहाँ तक कि अपने चेहरे को अच्छी तरह ज़मीन पर जमाए यहाँ तक कि उसके जोड़ मुत्मइन और पुर-सुकून हो जाएँ और अपनी अपनी जगह ठहर जाएँ। फिर (अल्लाहु-अकबर) कह कर सिर उठाए और मक़अद (पीठ)पर अच्छी तरह बैठ जाए और अपनी कमर को बिल्कुल सीधा कर ले। फिर (अल्लाहु-अकबर) कह कर सजदा करे और अपने चेहरे या माथे को ज़मीन पर जमाए और टिकाए। जब तक (नमाज़ में) ऐसे न करे उसकी नमाज़ पूरी नहीं होती❗️
📘(नसाई:1137)