
Kitabganj / किताबगंज
February 2, 2025 at 08:22 AM
हम उस काल में रहते हैं जब भाषा ज्ञान सबसे ज्यादा लोगों के पास है। चाहें लोगों की गिनती करें या साक्षरता दर देखें, इतने ज्यादा पढ़ सकने वाले लोग इतिहास में कभी नहीं थे।
अव्वल तो पूरी दुनिया के इतिहास में रंग, जात, लिंग के आधार में पर सदियों तक अक्षर को आधी से ज्यादा आबादी से छुपाए रखा। इसी सदी में अक्षरों का पिटारा सबके लिए खुल पाया है। भारत में प्राइमरी स्कूल में 99% तक एडमिशन दर्ज किए जा रहे हैं।
ऐसे युग में लाज़िम है कि लिखा जाए जाए। उन लोगों का तो लिखना और जरूरी हो जाता है जिनके हिस्सा का उनके पूर्वज लिख ही नहीं पाए। अच्छा-बुरा देखे जाने से ज्यादा जरूरी है बस लिख देना। क्योंकि तुम्हें अपने नहीं उनके हिस्से का भी लिखना है।
जब भी किताब पढ़ना तो एक ज्यादा पढ़ना, अपनी माँ के हिस्से की किताब जो वो नहीं पढ़ पायी। रोज़ एक कविता ज्यादा लिखना, शायद उस व्यक्ति के लिए जो तड़प रहा था किसी सदी में लिखने के लिए, पर कलम न छू पाया।
सदियों के बराबर का साहित्य बचा है करने को। 🌻
#सरस्वतीPooja
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