
Kitabganj / किताबगंज
February 21, 2025 at 04:54 AM
प्रिय कवि,
जो माँ से आई,
मातृभाषा है तुम्हारी
उसमें तुम सदैव मजलूमों को
हुक्मरानों के ऊपर रखना।
तुम्हारी माँ के
कोमल हृदय से
पनपी इस भाषा में
तुम कैसे रोक पाओगे
अपने आप को
अन्याय के
खिलाफ नहीं लिखने से?
तुम कवि हो
राजभाषा के नहीं
मातृभाषा के।।
(सारे प्रिय कवियों के लिए)
(आर्ट : _OneMoreTime_)
#internationalmotherlanguageday
#अंतराष्ट्रीय_मातृभाषा_दिवस
❤️
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