Kitabganj / किताबगंज
Kitabganj / किताबगंज
February 21, 2025 at 02:21 PM
मेरी मातृभाषा नहीं समझ पाता कोई। चूंकि मेरी माँ की भाषा भी नहीं समझ पाता था कोई। वो समाज की भाषा कभी नहीं बोल पाई, आज़ाद-उन्मुक्त-निर्भय एक भाषा थी-जो माँ ने थी अपने शर्तों पे बनाई। मेरी माँ से मैंने सबसे कीमती चीज़ जो है वो मातृभाषा ही पाई।। #मातृभाषा #मातृभाषादिवस #पुरानीKavita #internationalmotherlanguageday (फ़ोटो : मिडनाइट्स चिल्ड्रन)
❤️ 5

Comments