
University Of Thoughts
January 31, 2025 at 01:17 PM
629 AD में अकाल पड़ने के कारण चीन में गृह युद्ध चल रहा था और नागरिकों को देश छोड़ने पर पाबंदी थी.
इस बीच Hiuen Tsang नालंदा विश्वविद्यालय में पढ़ने के लिए भारत की ओर चल पड़ते हैं. सेंट्रल एशिया, समरकंद के कठिन रास्तों से होते हुए बामियान की पहाड़ियों को पारकर,
चीनी यात्री Hiuen Tsang भारत में कदम रखते हैं. दुनिया की सबसे बड़े नालंदा विश्वविद्यालय में पास कर दाखिला लिया. बौद्ध धम्म का गहन अध्ययन किया.
बौद्ध नगरों की यात्रा की. और जो जो देखा उसे अपनी डायरी में लिखते गए. उन्होंने देखा भारत बौद्ध भूमि है. यहां स्तूप, चैत्य और हज़ारों बौद्ध मठ हैं.
Hiuen Tsang ने अपनी प्रयागराज यात्रा में लिखा : शहर के दक्षिण पश्चिम में चंपक वन है. जहां सम्राट असोका द्वारा बनाया गया 100 मीटर लंबा स्तूप है.
जहां कुंभ मेला का आयोजन होता है, Hiuen Tsang लिखते है : दो नदियों के किनारे महादान भूमि पर भव्य मेला आयोजित होता है.
महान सम्राट हर्षवर्धन अपने दरबार में Hiuen Tsang को बुलाकर सम्मानित करते हैं. 16 साल भारत में अध्ययन करने के बाद Hiuen Tsang,
अपने साथ बेशकीमती 657 पांडुलिपियां. अनेक मूर्ति और पेड़ों के बीचों बक्से लेकर भारत से चीन रवाना होते हैं. सम्राट हर्षवर्धन उन्हें 72 घोड़े और 100 पहरेदार मुहैया कराते हैं.
चीन पहुंचते ही Hiuen Tsang का गाजे बाजे के साथ भव्य स्वागत किया जाता है. वो अपने लोगों से कहते हैं मैं बौद्ध भूमि भारत से ज्ञान की संपत्ति लाया हूँ.
(पोस्ट पढ़ने के लिए आप लोगों का बहुत बहुत आभार)
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