
Mufti Touqueer Badar Alqasmi Alazhari
February 2, 2025 at 09:35 AM
*हामिला मुतलका की इद्दत ...क्या होगी?*
السلام علیکم ورحمت اللہ
मुफ्ती साहिब
ज़ैद ने बहस और तकरार में अपनी बीवी को एक तलाक़ रजई दे दी। मुतल्का बीवी उम्मीद से है और उसकी ज़चगी का वक़्त क़रीब है—महज़ 5-7 दिन बचे हैं। अब ज़ैद काफ़ी परेशान और शर्मिंदा है।
सवाल यह है कि:
क्या उसकी इद्दत तीन हेज़ (माहवारी) होगी या उसके बच्चे की पैदाइश तक का समय ही इसकी इद्दत मानी जाएगी?
शौहर को रजअत (رجوع) के लिए कौन सी मुद्दत बताई जाएगी?
हज़रत प्लीज बताने की जहमत करें।
आप के लिए दुआ गो।
फखरे आलम.....बिहार
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وعلیکم السلام ورحمت اللہ وبرکاتہ !
इस सूरत में ज़ैद की बीवी (मुतलका ख़ातून) की इद्दत की मुद्दत बच्चे की पैदाइश तक ही होगी। यानी जैसे ही बच्चा पैदा होगा, उसकी इद्दत मुकम्मल हो जाएगी।
इसलिए शौहर को चाहिए कि बच्चे की पैदाइश से पहले ही अपनी बीवी से रजअत कर ले।
कुरआन करीम में
अल्लाह तआला फ़रमाते हैं:
"وَأُو۟لَـٰتُ ٱلْأَحْمَالِ أَجَلُهُنَّ أَن يَضَعْنَ حَمْلَهُنَّ"
(सुरह त-तलाक़: 4)
तरजुमा:
"और हामिला औरतों की इद्दत यह है कि वह अपना हमल (बच्चा) वज़ा कर लें (पैदा कर लें)।"
हदीस की रोशनी में
हज़रत उम्मे सलमा (र.अ) से रिवायत है:
"عَنْ أُمِّ سَلَمَةَ، قَالَتْ: قَالَ النَّبِيُّ ﷺ: إِنَّمَا عِدَّةُ الْحَامِلِ أَنْ تَضَعَ حَمْلَهَا"
(सुन्नन इब्ने माजा: 2039, सुन्नन अन-नसाई: 3491, मुसनद अहमद: 26674)
तरजुमा:
"नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया: हामिला औरत की इद्दत उसकी बच्चे की पैदाइश है।"
फ़िक़्ह की किताब 'अल-हिदाया' में लिखा है:
"وإذا طلق الرجل امرأته طلاقا بائنا أو رجعيا أو وقعت الفرقة بينهما بغير طلاق وهي حرة ممن تحيض فعدتها ثلاثة أقراء... وإن كانت حاملا فعدتها أن تضع حملها".
(अल-हिदाया, जिल्द: 2, सफ़ा: 274, दार इहया अल-तुरास अल-अरबी, बेरूत)
यानी:
"अगर शख्स अपनी बीवी को बाइन या रेज़ई तलाक़ दे दे या उनके दरमियान बग़ैर तलाक़ के जुदाई हो जाए, तो अगर औरत हैज़ (माहवारी) वाली हो, उसकी इद्दत तीन हैज़ होगी... और अगर हामिला हो, तो उसकी इद्दत बच्चे की पैदाइश तक होगी।"
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*नसीहत और अहम हिदायत*
शौहर को चाहिए कि वह रजअत कर ले और आइंदा मियां-बीवी आपसी तकरार और तलाक़ जैसे अल्फ़ाज़ ज़बान पर लाने से भरपूर परहेज़ करें। वरना दीन और दुनिया दोनों जगहों पर परेशानियां और रुसवाई होगी।
ھذا عندی والصواب عنداللہ
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तौक़ीर बद्र अल-क़ासिमी अल-अज़हरी
(डायरेक्टर: अल-मर्कज़ अल-इल्मी लिल-इफ़्ता वाल-तहक़ीक़, सुपोल, बिहार)
(साबिक़ लेक्चरर: अल-महद अल-आली लिल-तदरीब फ़िल-क़ज़ा वल-इफ़्ता, फुलवारी शरीफ, पटना, बिहार, इंडिया)
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📅 02/02/2025
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