मे नास्तिक क्यों हूं
मे नास्तिक क्यों हूं
February 26, 2025 at 03:16 PM
*नास्तिक कौन हैं ? कहाँ से आते हैं ?* बीमारी बढ़ती है तो इलाज के साधन भी पैदा हो जाते हैं. महामारी पैदा होती है तो उसके निदान करने वाले चिकित्सक भी सामने आते हैं. ठीक वैसे ही जबजब धरती पर धर्म और ईश्वर के नाम पर पाप और पाखंड का साम्राज्य खड़ा होता है. तब तब उन गिरोहों को बेनकाब करने के लिए नास्तिक पैदा होते आए हैं, इसलिए नास्तिक वाद का अस्तित्व धार्मिक गिरोहों के ईश्वरीय आतंक पर टिका हुआ है. धरती पर जब तक आस्था और विश्वासों के खोल में सड़ी गली मान्यताओं और रिवाजों द्वारा इंसानियत का बलात्कार होता रहेगा. नास्तिकता का अस्तित्व भी बना रहेगा. जब तक धार्मिक अज्ञानता के अंधकार में मानवता को धकेला जाता रहेगा. तब तक नास्तिक पैदा होते रहेंगे, नास्तिकता के भूत वर्तमान और भविष्य पर आधारित है प्राचीन काल के इंसान के लिए प्रकृति को समझना कठिन था. बारिश तूफान आग बिजली यह सब उसके लिए विपत्ति थे. इन्हें रोकना उसके बस की बात नहीं थी. इसलिए वह अपने सामने आने वाली इन प्राकृतिक आपदाओं को दैवीय प्रकोप समझने लगा. इसी प्रक्रिया में दुनिया की लगभग सभी संस्कृतियों में अनेकों रिवाज परंपराएं और मान्यताएं स्थापित हुई. जो आगे चलकर धर्म बन गए, प्रकृति के प्रति इंसान की अज्ञानता और उसके स्वाभाविक डर ने ही पारलौकिक शक्ति आत्मा पुनर्जन्म जादू टोना भूत प्रेत जैसी कल्पनाओं को जन्म दे दिया. इंसान जब तक खानाबदोश था तब तक उसे किसी परमात्मा की जरूरत नहीं थी. क्योंकि शिकार के लिए एक जगह से दूसरे जगह तक भागते रहने वाले इस इंसान के पास सोचने के लिए ज्यादा वक्त नहीं था. खेती की शुरुआत के बाद इंसान का भटकना बंद हो गया. खेती के साथ गांव बसने शुरू हुए अब इंसान के पास सोचने के लिए ज्यादा वक्त था. इसी दौरान सभ्यताओं का तेजी से विकास शुरू हुआ. दुनिया की सभी सभ्यताओं ने अपनी प्राची तीन मान्यताओं को परिष्कृत किया. और ईश्वर की अलग-अलग कल्पनाएं गढ़ी गई. सृष्टि को बनाने वाला कोई एक ईश्वर ईश्वर की यह नई अवधारणा प्राचीन मान्यताओं और अंधविश्वासों का परिष्कृत रूप था. ईश्वर की इस नई अवधारणा में बिजली आग बारिश तूफान जैसी विपत्तियों को अलग-अलग पूजने की जरूरत नहीं थी. बल्कि इन्हें बनाने वाले किसी एक ईश्वर को ही खुश करना था. एक ईश्वर वाद की यह नई परिकल्पना पहली धार्मिक क्रांति साबित हुई. लेकिन वे सभी प्राचीन विश्वास पूरी तरह नष्ट नहीं हो पाए. और धीरे-धीरे ईश्वर की इस नई अवधारणा में गड मड होकर रह गए. इस तरह ईश्वर वादी सभी मान्यताएं और भी कुरूप और पाखंड पूर्ण होकर समाज को अंधकार और बर्बरता की ओर ले गई, मनुष्य का पिछले 6000 साल का इतिहास बहुत ही महत्त्वपूर्ण है. क्योंकि इसी दौरान दुनिया के सभी धर्मों की उत्पत्ति और उनका विकास हुआ है. इन्हीं 6000 वर्षों में आज के सभी परमात्मा देवी देवता पिता गॉड यहोवा और अल्लाह की पैदाइश हुई है. जो पृथ्वी के चार अरब वर्षों के इतिहास में लापता थे. दुनिया के इतिहास में पिछले 6000 वर्षों के दौरान जितनी लड़ाइयां खून खराबे हुए हैं. इन सबके जिम्मेदार यही धर्म और इन पर आधारित मान्यताएं ही थी. ईश्वर की अलग-अलग मान्यताओं ने इंसानी सभ्यता के विकास में शुरुआती गति प्रदान की हो यह संभव है, साथ ही यह भी अटल सत्य है कि हजारों वर्षों तक सभ्यताओं के विकास में सबसे बड़ा रोड़ा ईश्वर पर आधारित धर्म ही रहे हैं, यह भी एक परम सत्य है कि दीपक तभी जलाया जाता है जब अंधकार होता है. इलाज के लिए रोग का होना भी जरूरी है. इसी तरह समय-समय पर धार्मिक जहालत के अंधकार को भगाने के लिए ज्ञान का दीपक लिए नास्तिक लोग भी जलते रहे हैं. जब-जब ईश्वर के खोखले और झूठे बुनियाद पर आधारित धर्मों की सड़ी हुई मान्यताओं ने समाज को पाखंड के विषाणु ं से संक्रमित किया है. तब तब उस संक्रमण से बचाने के लिए उसी समाज के कुछ बुद्धिवादी लोग सामने आए. नास्तिकों का इतिहास भी उतना ही पुराना है जितना कि ईश्वर अल्लाह और गॉड का है. भारत की बात करें तो यहां नास्तिकता की जड़े उतनी ही गहरी हैं जितनी कि धार्मिक जहालत की, आइए जानते हैं दुनिया के कुछ महान नास्तिकों के बारे में भारत में न हजार साल पहले कुछ मुट्ठी भर लोगों ने ईश्वर और धर्म के नाम पर इतना पाखंड पैदा कर दिया कि लोग ईश्वर और धर्म के नशे में प्रकृति और मानवता की अवहेलना करने लगे, इसी युग में भारत के सबसे पहले नास्तिक आचार्य चारबाक पैदा हुए जिन्होंने कहा ईश्वर एक रुग्ण विचार प्रणाली है. इससे मानवता का कोई कल्याण नहीं होने वाला है. आचार्य चारबाक के बाद एक बार फिर से ईश्वर और पाखंड में पूरा भारतीय समाज डूब चुका था. ईश्वर के नाम पर तरह-तरह के अनुष्ठान पशुओं की बलि इंसानों की बलि ऐसे दौर में पैदा हुए विश्व के सबसे बड़े नास्तिक तथागत बुद्ध बुद्ध कहते हैं कि ईश्वर नाम की कोई चीज नहीं. ईश्वर के लिए अपना समय नष्ट मत करो. तर्क और ज्ञान के मंथन से निकले वैज्ञानिक निष्कर्ष से ही सत्य तक पहुंचा जा सकता है. हर वह बात सच नहीं होती जो ग्रंथों में लिखी होती है या किसी महात्मा द्वारा कही गई होती है अजीत के स् कंबन जो बुद्ध के शिष्य थे. त्रिपिटक में अजीत के विचार कई जगह आए हैं उनका कहना था दान यज्ञ हवन लोक और परलोक सब काल्पनिक बातें हैं, *इब्न रोस्ट* इनका जन्म स्पेन के मुस्लिम परिवार में हुआ था. रोस्ट के दादा जमा मस्जिद के इमाम थे. इन्होंने अल्लाह के अस्तित्व को नकार दिया था. और इस्लाम को राजनैतिक गिरोह बताया था. जिस कारण मुस्लिम धर्म गुरु इनकी जान के पीछे पड़ गए थे, *कोपरनिकस* इन्होंने धर्म गुरुओं की पोल खोल दी थी. कोपरनिकस ने अपने प्रयोग से सिद्ध किया था कि पृथ्वी सहित सौरमंडल के सभी ग्रह सूर्य के चक्कर लगाते हैं. जिस इस कारण धर्म गुरु इतने नाराज हुए कि कोपरनिकस के साथ-साथ उन सभी सार्थक वैज्ञानिकों को कठोर दंड देना प्रारंभ कर दिया जो बाइबल के विरुद्ध जाकर तर्क और विज्ञान की बातें करते थे, *मार्टिन लूथर* इन्होंने जर्मनी में अंधविश्वास पाखंड और धर्म गुरुओं के अत्याचारों के खिलाफ आंदोलन किया इनका कहना था व्रत तीर्थ यात्रा जप दान आदि सब निरर्थक हैं, *सर फ्रांसिस बेकन* 23 साल की उम्र में ही पार्लियामेंट के सदस्य बने बाद में लॉर्ड चांसलर भी बने उनका कहना था. नास्तिकता व्यक्ति को विचार दर्शन स्वाभाविक निष्ठा एवं नियम पालन की ओर ले जाती है, बेंजामिन फ्रैंकलिन इनका कहना था सांसारिक प्रपंच में मनुष्य धर्म से नहीं बल्कि इसके ना होने से ज्यादा सुरक्षित और सुखी होगा, *चार्ल्स डार्विन* इन्होंने ईश्वर और धार्मिक गुटों पर सर्वाधिक चोट पहुंचाई इनका कहना था मैं किसी ईश्वर में विश्वास नहीं रखता और ना ही मृत्यु के बाद के जीवन के बारे में, *कार्ल मार्क्स* कार्ल मार्क्स का कहना था ईश्वर का जन्म एक गहरी साजिश से हुआ है और धर्म एक अफीम है. उनकी नजर में धर्म विज्ञान विरोधी प्रगति विरोधी अनुपयोगी अनर्थ कारी है इसका त्याग ही जनहित में है, *पेरियार रामास्वामी* इनका जन्म भारत के तमिलनाडु में हुआ और इन्होंने जातिवाद ईश्वर वाद पाखंड अंधविश्वास पर जम के प्रहार किया इनका मानना था कि ईश्वर नाम की कोई चीज नहीं होती, *भगत सिंह* प्रम प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह का कहना था मैं कभी भी उस काल्पनिक ईश्वर का गुणगान नहीं कर सकता जिसके कारण दुनिया में इतनी अव्यवस्था है, *लेनिन* लेनिन के अनुसार ईश्वर और धर्म की रचना की गई है ताकि जनता में कभी क्रांति की भावना जागृत ही ना हो पाए, *बाबू जगदेव प्रसाद* ईश्वर आत्मा आदि की कल्पना तमाम लोगों को बेवकूफ बनाकर उनका शोषण करने के लिए कुछ शोषण वादी लोगों द्वारा बनाया गया है, *जोरदान ब्रूनो* को जिंदा जला दिया गया क्योंकि उन्होंने बाइबल की मान्यताओं को खारिज कर दिया था, *गैलीलियो* गैलीली को सिर्फ इसलिए प्रताड़ित होना पड़ा क्योंकि उन्होंने पृथ्वी को ब्रह्मांड का केंद्र मानने वाली बाइबल की अवधारणा के विरुद्ध जाकर साबित किया था कि पृथ्वी ब्रह्मांड का केंद्र नहीं है, *कोपरनिकस से लेकर सर डार्विन तक* ना जाने कितने ही महान नास्तिक धार्मिक गिरोहों की सड़ी हुई घृणा मेंक मानसिकता का शिकार हो गए लेकिन सूर्य की तरह यह भी एक सार्वभौमिक सत्य है कि सच्चाई को ज्यादा समय के लिए दबाना संभव नहीं. इसीलिए आज के समय में धार्मिक गिरोहों के व्यापक प्रचार तंत्र के बावजूद नास्तिकों की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है, कैलिफोर्निया में क्लेयरमोंट के पिट्जर कॉलेज में सामाजिक विज्ञान के प्रोफेसर फिल जकर मैन कहते हैं इस समय दुनिया में पहले के मुकाबले नास्तिकों की संख्या बढ़ी है. और इंसानों में इनका प्रतिशत भी बढ़ा है यह तथ्य गैलप इंटरनेशनल के सर्वे में उभर कर सामने आया है. गैलप इंटरनेशनल के सर्वे में 57 देशों में 50000 से अधिक लोगों को शामिल किया गया सर्वे के मुताबिक 2005 से 2011 के बीच धर्म को मानने वाले लोगों की तादाद 77 प्र से घटकर 68 प्र रह गई. जबकि खुद को नास्तिक बताने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है इसके बावजूद दुनिया में लगभग 13 देश ऐसे भी हैं जहां नास्तिकता एक अपराध है. और इस अपराध की सजा प्रतारक के रूप में मिलती है एक रिपोर्ट के हिसाब से ऐसी सजा देने वाले देश अफगानिस्तान ईरान मलेशिया मालदीव मोरेटो नियो नाइजेरिया पाकिस्तान कतर सऊदी अरब सोमालिया सूडान संयुक्त अरब अमीरात और यमन है, हाल ही में बांग्लादेश में तीन नास्तिक ब्लॉगरों को धर्म के खिलाफ वैज्ञानिक तथ्य लिखने के लिए मौत के घाट उतार दिया गया था. भारत में नास्तिकता की परंपरा बहुत पुरानी है. साथ ही दुनिया के प्रत्येक कोने में ऐसे महान नास्तिक पैदा होते रहे हैं. जिन्होंने मानवता को धार्मिक जहालत से मुक्त कर ने का संघर्ष किया इस संघर्ष में कई महान नास्तिकों को शहीद होना पड़ा. कई महान नास्तिकों को कारावास में जिंदगी गुजारनी पड़ी और कई नास्तिकों को अपना घरबार छोड़ना पड़ा. फिर भी मानवता के प्रहरी और पाखंड के दुश्मन ईश्वर विरोधी इन महान नास्तिकों ने हिम्मत नहीं हारी और अपने महान बलिदानों से भविष्य के नास्तिकों को प्रेरणा देते, *इंसानियत जिंदाबाद* 🙏नमो बुद्धय जय भीम🙏
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