Muwahid
Muwahid
February 2, 2025 at 02:16 AM
*Who created God Part 1* *जब हर चीज को खुदा ने बनाया है तो फिर खुदा को किसने बनाया?* *(Who Created God?)* अक्ल और साइंस के बेलगाम घोड़े पर सवार खुदा के वुजूद की थका देने वाली बहस में नास्तिक (Athiest) और आस्तिक (Thiest) दोनों के सामने हमेशा एक फैसलाकुन मोड़ आता है, जहाँ नास्तिक (Athiest) हथियार डालकर अपना आखरी पत्ता फेंकता है, कि चलो आस्तिक (Thiest) अगर हर चीज़ का कोई बनाने वाला होता तो बताओ खुदा को बनाने वाला कौन है? ये सवाल नास्तिकता (Athiesm) के बरअक्स फितरती है और फितरत का जादू नास्तिक (Athiest) और आस्तिक (Thiest) दोनों पर बराबर असरंदाज़ होता है। हां, फर्क अगर है तो इतना एक सादा सा आस्तिक (Thiest) अपनी अक्ल से माज़रत लेकर अक्सर इन जैसे सवालात को न समझ आने वाली पहली कहकर झटक देता है, जबकि नास्तिक (Athiest) इस सवाल के दुरूस्त जबाब से रुख मोड़कर खुदा का इंकार कर देता है, ये एक अहम मसले के बारे में इंतिहाई जल्दबाजी है, जो कम से कम साइंसी रवैया तो कही से हो नही सकता, बहरहाल कुछ भी हो ये सवाल जिस क़दर एक सादा आस्तिक (Thiest) को सताता है, उतना ही नास्तिक (Athiests) इस सवाल के सहारे खुदा के वुजूद को सिरे से ही मशकूक करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। ईमान और नास्तिकता (Athiesm) की इस बेरहम जंग में देसी नास्तिकों को सांइस के चोर दरवाज़े से जो (logistics support) मदद पहुंच रही है उन पहुँचाने वालो में स्टीफन हॉकिन और रिचर्ड डोकिंस किसी तआरुफ के मोहताज नहीं हैं, दोस्तो इस सवाल की अहमियत इस से भी करे कि नास्तिकों के ये शैखेन भी जब छुपने की कोई राह नही पाते है, तो ये इसी फितरती सवाल की आड़ लेते हुए दिखाई देते हैं, स्टीफन हॉकिन अपनी किताब The Grand Design और रिचर्ड डॉकिन्स The God Delusion में वुज़ूदे खुदा के फितरती दलाईल का मुकाबला इसी एक फितरती सवाल से करते हैं, गोया यूं लगता है जैसे आलमी नास्तिकता की रक्षा (defence) में ये फितरती सवाल परमाणु बम के फ़राइज़ अंजाम दे रहा है, जिसके सक्रिय (Activete) होने पर न नास्तिकता बचती है, और ना नास्तिक, अलवत्ता खालिक की जरूरत जू की तू कायम रहती है, रहे बाकी सवाल तो कुछ तो हल हो चुके हैं, और कुछ में इतना दम नही है, कि वह खुदा के न होने पर पेश किए जा सके। दोस्तो जबकि आलमी नास्तिकता अपने तमाम अंडे इस एक सवाल की टोकरी में रख चुका है, तो यह एक अहम मोड़ है, कि जब नास्तिकता (Athiesm) ईमान से मंज़िल का पता पूछ रहा है किसी मोमिन के लिए ये मोड़ किसी हसीं वादी की तरफ जाती बलखाती रोड़ से कम नही है, क्योंकि इस रोड़ के इख़्तिताम (खात्मे) पर खुदा अपनी पूरी शान ओ शौकत के साथ नास्तिक (Athiest) का इंतज़ार कर रहा है, गोया मोमिन हाथ पकड़कर नास्तिक (Athiest) की खुदा से मुलाकात कराने वाला है, वो कहते है न, कि सुबह का भूला शाम को घर लौट आये तो उसे भूला नही कहते।
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