Muwahid
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February 8, 2025 at 01:55 AM
*Existence of God Part 1* *क्या इस कायनात का कोई बनाने वाला है? या ये कायनात खुद व खुद बन गई है?* *(existence of God)* इस क़ायनात और इसमें मौजूद तमाम मख़लूक़ात (चीजों) को देखकर, हर इंसान की ज़िंदगी में कम से कम एक बार तो ये सवाल जरूर आता है, कि क्या इस क़ायनात का कोई बनाने वाला है? या ये क़ायनात खुद व खुद बन गई है? इस क़ायनात की तमाम मख्लूकात (चीजों) को किसी ने बनाया है? या ये तमाम मख्लूकात (चीज़ें) खुद व खुद बन गई है? इंसान की अक़्ल में इस सवाल का आना फितरती है, हम अपने लेख में इसी सवाल का जबाब देने की कोशिश करेंगे। मान लीजिये आप एक किसी रेगिस्तान में जा रहे हैं, वहाँ अचानक आपको एक घड़ी मिलती है तो आप उस घड़ी के बारे में क्या सोचेगें ? क्या आप ये कहेंगे इस घड़ी को किसी ने नही बनाया है? ये खुद व खुद बनकर यहाँ आ गई है, क्या आप ये कहेंगे की ये घड़ी बिना किसी के बनाये नही बन सकती है, जरूर इस घड़ी को किसी ने बनाकर यहाँ रखा है, ज़ाहिर सी बात है आप उस घड़ी के पेचीदा निज़ाम (complex system) और उसकी कार्य विधि को देखकर यही कहेंगे की जरूर इस घड़ी का कोई बनाने वाला है। ये घड़ी बिना किसी के बनाये खुद व खुद नही बन सकती है। ऐसे ही हम इस क़ायनात और इसमें मौजूद तमाम मख्लूकात (चीजों) पर गौर-ओ-फिक्र करके उसके बनाने वाले तक पहुँच जाएंगे जैसे सूरज, चाँद, सितारे, सय्यारे, जमीन और आसमान, समुन्द्र और समुंद्री जीव, पेड़ पौधे, इंसान, चरिंद, परिंद, और तमाम जानवरो को देख कर और उनके पेचीदा निजाम (complex system) पर गौर-ओ-फिक्र करके हम उसके बनाने वाले तक पहुंच सकते हैं, इन सब चीजों को देखकर कोई भी अक़्ल रखने वाला इंसान ये नही कह सकता है, कि ये सब चीजें खुद व खुद बन गई हैं, वो यही कहेगा जरूर इन सब चीज़ों को किसी जात ने बनाया है, ये तमाम कि तमाम चीज़ें खुद व खुद नही बन सकती है। क्या इन लोगों ने आसमानों और ज़मीन के इन्तिज़ाम पर कभी ध्यान नहीं दिया और किसी चीज़ को भी, जो अल्लाह ने पैदा की है, आँखें खोलकर नहीं देखा? 📓(कुरआन 7:185) ज़मीन और आसमानों में कितनी ही निशानियाँ हैं जिनपर से ये लोग गुज़रते रहते हैं और ज़रा ध्यान नहीं देते। 📓(कुरआन 12:105) अगर कोई व्यक्ति आपसे कहे कि ये मोबाइल जो आपके पास है, ये खुद व खुद बन गया है क्या किसी के कहने से आप मान सकते हैं, कि ये मोबाइल खुद व खुद बन सकता है? यह बिजली का बल्ब जो आपके सामने मौजूद है, क्या किसी के कहने से मान सकते हैं, कि रोशनी इस बल्ब में खुद व खुद पैदा हो जाती है? ये हवाई जहाज़ जो जो रात दिन आपके सामने उड़ रहा है, क्या किसी बड़े से बड़े दार्शनिक (फलसफी) के कहने से आप ये मान सकते हैं, कि इस हवाई जहाज़ को बनाने वाला कोई नही है ? ये कपड़े जो आप पहने हुए हैं, क्या दुनिया के किसी बड़े से बड़े आलिम और पंडित के कहने से आप यह तसलीम करने को तैयार हो जायेंगे कि उनको किसी ने बुना नही है ये खुद व खुद बुन गए है? ये घर जो आपके सामने खड़े हैं, यदि तमाम दुनिया की यूनिवर्सिटीयों के प्रोफेसर मिलकर भी आपको यकीन दिलाना चाहें कि इन घरों को किसी ने नही बनाया है, बल्कि ये खुद व खुद बन गए हैं तो क्या उनके यकीन दिलाने से ऐसी गलत बात पर यकीन आ जायेगा ? जरा विचार कीजिये अगर कोई व्यक्ति आप से कहे ये कार जो आप चलाते हैं, ये खुद व खुद बन गई है और आपको यकीन दिलाने के लिए आपसे कहे कि इस कार को बनाने के लिए जो कच्चा माल (row material ) इस्तेमाल हुआ है उसमें कुछ लोहा, प्लास्टिक, काँच, रबड़, ताँबा, और स्टील आदि मौजूद है और ये सब चीजें हमारी जमीन से पाई जाती हैं, फिर वो आपसे कहे कि कई वर्षो पहले दुनिया में भूकंप आये और उस भूकंप के नतीजे में ये सारी चीज़े बाहर निकलकर आ गई थीं और फिर कई वर्षो बाद इस दुनिया में कुछ रासायानिक अभिक्रिया ( Chemical process) हुई जिसके नतीजे में ये सारे ये सारे तत्व अलग अलग हो गए, फिर कई वर्षो बाद इस दुनिया में अम्लीय वर्षा (Acid rain) हुए जिसकी वजह से लोहा, प्लास्टिक, कांच, रबड़, ताँबा, और स्टील के आकार में परिवर्तन होना शुरु हुआ, फिर धीरे -धीरे इन सब चीज़ो से कार के पार्ट्स बन गए और फिर तूफान चले, भूकंप आये और ये सब कार के पार्ट्स खुद व खुद अपनी अपनी जगह आकर लगते गए, फिर कार का इतना पेचीदा इंजन भी खुद व खुद इसी हादसे से बन गया, और खुद व खुद चल भी रहा है और ईंधन भी इसमें खुद व खुद आ जाता है। सच बताइये, जो व्यक्ति आपसे ये बात कहेगा, क्या आप हैरत से उसका मुंह न देखने लगेंगे? क्या आपको ये शक न होगा कि कहीं इसका दिमाग खराब तो नही हो गया है? क्या एक पागल के सिवा ऐसी गलत बात कोई कह सकता है? अब सोचिये कि एक मामूली सी कार के बारे में जब आपकी अक़्ल ये नही मान सकती कि वह किसी बनाने वाले के बिना खुद व खुद बन सकती है किसी इंजीनियर के डिजाइन किए बिना वह खुद व खुद नही बन सकती है तो आप इस क़ायनात के बारे में कैसे मान सकते हैं कि ये खुद व खुद बन गई है ? आइए अब हम इस कायनात के निजाम पर गौर-ओ-फिक्र करते है।
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