
Muwahid
February 9, 2025 at 01:41 AM
*Existence of God Part 2*
*क्या इस कायनात का कोई बनाने वाला है? या ये कायनात खुद व खुद बन गई है?* *(existence of God)*
*क़ायनात (universe)*
हमारी इस क़ायनात के अंदर नासा की लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक 250 अरब गैलेक्सीस दर्याफत हो चुकी है और हर गैलेक्सी के अंदर 300 अरब से ज्यादा सूरज मौजूद हैं, मिसाल के तौर पर हमारी milky way गैलेक्सी के अंदर जो सूरज हमें नज़र आ रहा है ये सूरज हमारी धरती से 13 लाख गुना बड़ा है, और ये सूरज इस गैलेक्सी का सबसे छोटा सितारा है, इसी तरह के 300 अरब सूरज हमारी milky way गैलेक्सी में मौजूद हैं, और इस तरह की 250 अरब गैलेक्सी इस क़ायनात में मौजूद है।
पिछले 13.8 अरब सालो से ये तमाम की तमाम गैलेक्सी पूरी समन्वय (perfect harmony) के साथ गति कर रही है और ये गैलेक्सी अपनी गति (movement) के दौरान एक दूसरे पास से निकल जाती है लेकिन कभी कोई सितारा दूसरे सितारे से नही टकराता, और ये क़ायनात ऐसे ही पिछले 13.8 अरब सालो से पूरे संतुलन (perfect balance) के साथ चल रही है, अब आप इस क़ायनात के बारे में सोच कर देखिये और बताइये कि ये इतना बड़ा काम क्या खुद व खुद हो रहा है?
वो अल्लाह ही है जिसने आसमानों को ऐसे सहारों के बिना क़ायम किया जो तुम्हें नज़र नहीं आते हों, फिर वो अपने तख़्ते-सल्तनत [ राजसिंहासन] पर विराजमान हुआ, और उसने सूरज और चाँद को एक क़ानून का पाबन्द बनाया। इस सारे निज़ाम की हर चीज़ एक मुक़र्रर वक़्त तक के लिये चल रही है, और अल्लाह ही इस सारे काम की तदबीर कर रहा है। वो निशानियाँ खोल-खोलकर बयान करता है, शायद कि तुम अपने रब की मुलाक़ात का यक़ीन करो।
📓(कुरआन 13:2)
*क़ायनात के फासले*
अगर में आपसे क़ायनात के फासलों की बात करूं तो वो इतने बड़े हैं, कि इनको किलोमीटर में मापना नामुमकिन है इसलिए क़ायनात के फासलों को नूरी साल (Light year) में मापा जाता है
एक नूरी साल (Light year) ये होता है, रोशनी (light) के द्वारा एक साल में तय की गई कुल दूरी, रोशनी की रफ्तार 1,86,000 मील प्रति सेकेंड या 3,00,000 किलोमीटर प्रति सेकेंड है, रोशनी (light) की रफ्तार का अंदाज आप इससे करें कि एक सेकेंड में रोशनी (light) पृथ्वी के 7.5 चक्कर लगा लेगी। अगर रोशनी (light) को एक साल तक सफर करने को छोड़ दिया जाये तो वह 9.5 खरब (9.5 Trillion) किलोमीटर दूरी तय कर लेगी।
पृथ्वी के करीब जो गैलेक्सी मिली है वह हमारी पृथ्वी से 20 लाख नूरी साल (light year) के फासले पर है, यानी 20 लाख साल तक रोशनी (light) 3,00,000 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से सफर करती रहे तो तो वो पहली गैलेक्सी तक पहुँचेगी और इसी तरह की 250 अरब गैलेक्सी इस क़ायनात में और मौजूद है, हमारी ये क़ायनात इतनी बड़ी है कि हम इसके बारे में तसव्वुर भी नही कर सकते हैं। ये इतनी बड़ी क़ायनात क्या खुद व खुद बन गई है ? और क्या ये क़ायनात खुद व खुद चल भी रही है ?
*अगर तुम ज़मीन और आसमानों की सरहदों से निकलकर भाग सकते हो तो भाग देखो। नहीं भाग सकते। इसके लिये बड़ा ज़ोर चाहिये।*
📓(कुरआन 55:33)
*सौलर सिस्टम*
अब हम अपने सौलर सिस्टम को देखे जिसमे सूरज के चारो तरफ ग्रह (planet) चक्कर लगा रहे हैं, ये सूरज हमारी पृथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है और इस सूरज के अंदर से हर सेकेण्ड में 50 करोड़ परमाणु बम (Atomic Bomb) के बराबर एनर्जी निकल रही है और एनर्जी निकलने के साथ साथ ही ये सूरज अपने पूरे सौलर सिस्टम को लेकर पिछले 13.8 अरब सालों से 200 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से स्टार बैगा की तरफ सफर कर रहा है लेकिन अभी तक वहाँ पर पहुंचा नही है ये सूरज और इसका ये सारा सौलर सिस्टम क्या खुद व खुद चल रहा है? क्या सूरज को कोई ड्राइबर चला रहा है? या इसके अंदर कोई ईंधन (fuel) डाला जा रहा है
*पृथ्वी की गति (motion of the earth)*
जिस पृथ्वी पर हम रहते हैं उसकी तीन बड़ी बड़ी गति (motion) अब तक दर्याफ़्त हो चुकी है
*पहली गति (first motion)*
पृथ्वी अपने एक्सिस के गिर्द हर सेकेंड में आधा किलोमीटर घूमती है, जिसकी वजह से 24 घंटे के अंदर हमारे रात दिन मुकम्मल होते है
*दूसरी गति (second motion)*
पृथ्वी सूरज के गिर्द हर सेकेंड में 30 किलोमीटर दूरी तय करती है जिसकी वजह से 365 दिनों में हमारा साल मुकम्मल होता है
*तीसरी गति (third motion)*
पूरा सौलर सिस्टम सूरज और उसके गिर्द के सारे ग्रह (planet) पिछले 13.8 अरब सालों से हर सेकेंड में 200 किलोमीटर सफर कर रहे हैं
इन तीन बड़ी बड़ी गति (motion) के वावजूद पृथ्वी पर रहने वाले किसी चरिंद , परिंद, जानवर और इंसान को कभी इसका अहसास भी नही होता कि वह कितने खतरनाक किस्म के जहाज में सवार है जो हर सेकेंड में आधा किलोमीटर अपने एक्सिस पर और हर सेकेंड के अंदर साथ साथ सूरज के गिर्द 30 किलोमीटर और साथ साथ ही हर सेकेंड में पूरे सौलर सिस्टम के साथ 200 किलोमीटर से चल रही है इस क़ायनात के अंदर इतना जबरदस्त गुरुत्वाकर्षण बल (gravitational force) मौजूद है जिसकी वजह से हमे पृथ्वी पर रहते हुए भी इन चीजों का अहसास नही है ये इतने बड़े बड़े काम क्या खुद वे खुद हो रहे है ? क्या जमीन और आसमान की सारी मख्लूकात मिलकर इस क़ायनात को चला सकती है ? तो जो काम सारी मखलूक मिलकर नही कर सकती वो खुद व खुद कैसे हो सकता है?
और वो कौन है जिसने ज़मीन को ठहरने की जगह बनाया?
📓(कुरआन 27:61)
उसने आसमानों और ज़मीन को हक़ (मकसद) के साथ पैदा किया है। वही दिन पर रात और रात पर दिन को लपेटता है। उसी ने सूरज और चाँद को इस तरह ख़िदमत में लगा रखा है कि हर एक, एक तयशुदा वक़्त तक चले जा रहा है। जान रखो, वो ज़बरदस्त है और माफ़ करनेवाला है।
📓(कुरआन 39:5)
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