
Muwahid
February 13, 2025 at 02:00 AM
*15 शाबान के हवाले से गलत फहमी*
माहे शाबान का आगाज़ होते ही शाबान की 15वीं रात की फज़ीलत और इसकी अज़मत बयान करना शुरू हो जाता है जबकि कुरान और हदीस इसकी किसी भी तरह की कोई फज़ीलत बयान नहीं हुई।
*1. क्या कुरआन को 15 शाबान को नाजिल किया गया?*
*लैलातुल मुबारक*
बाज़ लोग सुरह दुखान की शुरुआती आयत से ये मसला निकालने की कोशिश करते हैं कि इसमें जो लैलतुल मुबारका का ज़िक्र है वह निस्फ शाबान की रात है। मगर ऐसा कहना बातिल है क्योंकि अल्लाह तआला सूरत दुखान में फरमाता है;
إِنَّا أَنزَلْنَاهُ فِي لَيْلَةٍ مُّبَارَكَةٍ إِنَّا كُنَّا مُنذِرِينَ{3} فِيهَا يُفْرَقُ كُلُّ أَمْرٍ حَكِيمٍ
"बेशक हमने इस कुरान को बा बरकत रात में नाजिल किया क्योंकि हम डराने वाले हैं यह वह किताब है जिसमें हर मामला का हकीमाना फैसला किया जाता है।"
[सूरह दुखान : 04]
इस जगह लैलातुल मुबारका से जो मुराद है वह लैलातुल क़द्र है क्योंकि अल्लाह तआला ने इस लैलतुल कद्र में कुरान को नाजिल किया,
"हमने इस कुरान को लेलातुल क़द्र में नाजिल किया।" [सूरह क़द्र : 01]
और हमें यह मालूम होना चाहिए कि लैलतुल कद्र रमजान के महीने में होती है-
شَهْرُ رَمَضَانَ الَّذِيَ أُنزِلَ فِيهِ الْقُرْآنُ
"रमजान का महीना वह है जिसमें कुरान नाजिल हुआ।" [सुरह बक़रा 185]
इन तीनों आयात से पता चला की लैलातुल मुबारका से मुराद लैलातुल कद्र है जो कि रमजान के महीने में आती है और इसी महीने में क़ुरान का नुजूल हुआ।
*2. 15 शाबान पर हदीस*
अब आईए उस हदीस की तरफ चलते हैं जिसकी वजह से इस रात में होने वाली बिदात को तरजीह दी जाती है-
ये हदीस इमाम तिर्मीजी अपनी किताब तिर्मीजी में लेकर आए हैं।
हजरत आयशा (रजि०) फरमाती हैं:
मैंने एक रात नबी करीम ﷺ को ग़ायब पाया। तो मैं (आप ﷺ की तलाश में) बाहर निकली तो क्या देखती हूँ कि आप बक़ीअ क़ब्रिस्तान में हैं।
आप ने फ़रमाया: क्या तुम डर रही थीं कि अल्लाह और उसके रसूल ﷺ तुम पर ज़ुल्म करेंगे?
मैं ने कहा: अल्लाह के रसूल ﷺ! मेरा गुमान था कि आप अपनी किसी बीवी के हाँ गए होंगे।
आप ﷺ ने फ़रमाया: अल्लाह तआला पन्द्रहवीं शाबान की रात को आसमाने-दुनिया पर नुज़ूल फ़रमाता है। और क़बीला कल्ब की बकरियों के बालों से ज़्यादा तादाद में लोगों की मग़फ़िरत फ़रमाता है।
[तिरमिज़ी :739]
ये हदीस पर हम दो तरह से बात करेंगे एक तो सनद एक मतन (वाक़िया)
इमाम तिरमिज़ी कहते हैं,
1. आयशा (रज़ि०) की हदीस को हम इस सनद से सिर्फ़ हुज्जाज की रिवायत से जानते हैं।
2. मैने मुहम्मद-बिन-इस्माईल बुख़ारी को इस हदीस को ज़ईफ़ ठहराते सुना है। इसी के साथ फ़रमाया: यहया-बिन-अबी-ज़्यादा का उरवा से और हुज्जाज-बिन-अरता का यहया-बिन-अबी-ज़्यादा से नहीं सुना।
3. इस सिलसिले में अबू-बक्र सिद्दीक़ (रज़ि०) से भी रिवायत है।
लिहाज़ा इमाम तिरमिज़ी ने इसको ज़इफ कहा इमाम बुखारी के हवाले से बहुत से मुहद्दसीन ने इसको ज़ईफ कहा,
जैसे:
इमाम दरक़ुतनी
इमाम अयनी हंफी
इमाम हाकिम
शुएब अरनोत
मुबारकफूरी
इमाम बुखारी
इमाम मुंज़िरी
रहिमाउल्लाहम अजमाइन
लिहाज़ा सनद के ऐतिबार से हदीस ज़ईफ हुई।
अब आते हैं हदीस के वाक़िये की तरफ-
इस हदीस में नबी करीम ﷺ ने कहा की 15वी शाबान की रात अल्लाह आसमान ए दुनिया पर नुज़ूल फरमाता है।
ये सहीह हदीस के खिलाफ है क्यूंकि अल्लाह तआला शाबान को नहीं बल्कि रोज़ाना रात को आसमान ए दुनिया पर आता है।
नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया:
"हमारा परवरदिगार बुलन्द बरकत वाला है। हर रात को उस वक़्त आसमान दुनिया पर आता है जब रात का आख़िरी तिहाई हिस्सा रह जाता है। वो कहता है कोई मुझसे दुआ करने वाला है कि मैं उसकी दुआ क़बूल करूँ, कोई मुझसे माँगने वाला है कि मैं उसे दूँ, कोई मुझसे बख़्शिश तलब करने वाला है कि मैं उसको बख़्श दूँ।" [सहीह बुखारी : 1145]
लिहाज़ा अल्लाह रोज़ाना नुज़ूल करता है ना की एक साल मे सिर्फ़ एक बार ही।
दूसरी इस हदीस मे कहा गया नबी करीम ﷺ शाबान को क़ब्रिस्तान गए हालांकि नबी करीम ﷺ रात मे क़ब्रिस्तान जाना तो साबित है लेकिन उसमे शाबान का ज़िक्र नहीं।
जैसा कि ख़ुद देख सकते हैं, सहीह मुस्लिम: 2256
लिहाज़ा मतन के ऐतिबार से भी ये हदीस सहीह नहीं।
अगर कोई फिर भी लोग इस हदीस पे अमल करते हैं तो उनसे कुछ सवाल हैं-
1. इस हदीस के कोनसे सहाबी है जिन्होंने शाबान की रात क़ब्रिस्तान का रुख किया?
2. इस हदीस मे नबी करीम ﷺ चुपके से क़ब्रिस्तान गए थे आप लोग चिराग़ जला के जाते हो दुनिया को दिखाते हो हदीस के खिलाफ क्यों?
3. इस हदीस मे नबी करीम ﷺ आधी रात को क़ब्रिस्तान गए थे वो भी एक बार आप हर साल क्यों जाते हैं?
4. अगर कोई कहता है नबी करीम ﷺ का एक बार जाना भी हमारे लिये दलील है तो सवाल फिर वही होगा किस सहाबी ने इस हुक्म की पैरवी करके अमल किया?
5. नबी करीम ﷺ के इस वाक़िये से साबित हो रहा है की नबी पहले सोये हुए थे रात में जागे सिर्फ़ गए क़ब्रिस्तान आप लोग भी सोते क्यों नहीं?
6. नबी करीम ﷺ इस रात सिर्फ़ कब्रिस्तान गए थे पूरी रात इबादत नहीं की आप पूरी रात मस्जिदों में इबादत क्यों करते हैं?
आप ये जो कुछ भी इबादत के नाम कर रहे हैं इनकी कोई सही सनद नहीं मौजूद है और जिसकी दलील हमें क़ुरआन, हदीस या नबी करीम ﷺ की सुन्नत से ना मिले तो वो बिदअत कहलाता है।
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