Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS)
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) 🚩🚩🚩🚩🚩
Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) 🚩🚩🚩🚩🚩
February 28, 2025 at 06:32 AM
*1971 में इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बने रहने के लिए वामपंथी लोगों से मदद चाहिए थी।* समझौता यह हुआ कि.. आप प्रधानमंत्री बनी रहो और हमारे लोगों को देश का शिक्षा बोर्ड दे दो। कट्टर वामपंथी विचारधारा वाले डा. नूरूल हसन को केन्द्रीय शिक्षा राज्यमंत्री का पद सौंपा गया था, जिसने प्राचीन हिन्दू इतिहास तथा पाठ्य पुस्तकों के विकृतिकरण का बीड़ा उठा लिया। 1972 में इन सैकुलरवादियों ने "भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद" का गठन कर इतिहास पुनर्लेखन की घोषणा की और सुविख्यात इतिहासकार यदुनाथ सरकार, रमेश चंद्र मजूमदार तथा श्री जी.एस. सरदेसाई जैसे सुप्रतिष्ठित इतिहासकारों के लिखे ग्रंथों को नकार कर, नये सिरे से इतिहास लेखन का कार्य शुरू कराया गया। घोषणा की गई कि इतिहास और पाठ्यपुस्तकों से वे अंश हटा दिये जाएँगे, जो राष्ट्रीय एकता में बाधा डालने वाले और मुल्सिमो की भावना को ठेस पहुँचाने वाले लगते हैं। डा. नूरूल हसन ने अलीगढ़ मुल्सिम विश्वविद्यालय में भाषण करते हुए कहा- महमूद गजनवी औरंगजेब आदि मुल्सिम शासकों द्वारा हिन्दुओं के नरसंहार एवं मंदिरों को तोड़ने के प्रसंग राष्ट्रीय एकता में बाधक है अत: उन्हें नहीं पढ़ाया जाना चाहिए। वामपंथियों ने भारतीय स्वाधीनता संग्राम के महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर पर अंग्रेजों से क्षमा माँगकर, गौ भक्षक होना, अण्डमान के काला पानी जेल से रिहा होने जैसे निराधार आरोप लगाये और उन्हें वीर की जगह 'कायर' बताने की बात लिखीं (ये बातें डा. अमरीश प्रधान द्वारा एक संगोष्ठि में बताई गयी हैं) देश का इससे बड़ा दुर्भाग्य कुछ हो नहीं सकता है कि बच्चे यह नहीं पढ़ पा रहे हैं कि औरंगजेब ने किस तरह से देश में हिन्दुओं का कत्लेआम करवाया था। इन लेखकों ने यह तो लिख दिया कि गांधी की हत्या नाथूराम ने की थी किन्तु यह नहीं बताया कि गुरू गोविन्द जी कैसे शहीद हुए थे। सबसे बड़ा मजाक यह है कि स्कूल की किताबों में कौन सा लेखक क्या लिख रहा है इसकी जाँच करने के लिए कोई भी बोर्ड नहीं है.. कोई लिखता है कि "राम नहीं थे तो कोई महाभारत को एक कहानी लिखता है" किन्तु एक खास धर्म से पंगा नहीं लेता है। आज भी कांग्रेस की दया के चलते ही कई वामपंथी लोग शिक्षा बोर्ड पर कब्जा किये बैठे हैं। इसी योजना के तहत JNU जैसे अनेक तथाकथित 'स्वायत्त' विश्वविद्यालयों की स्थापना करके भी उन्हें वामपंथियों को सौंप दिया गया आज शरद पवार वही फर्जी वामपंथी पुस्तको का हवाला देकर कह रहे हैं की “सावरकर ने कहा था, गो मांस खाना क्राइम नहीं” जबकी यह बाते सावरकर जी सपने मे सोच भी नही सकते थे.... सेकुलरिज्म के नाम पर हिन्दुओं से बहुत विश्वासघात किया गया है, देश के धर्म के नाम पर टुकड़े करने वालो ने.. राष्ट्रहित सर्वोपरि भारत माता की जय वंदे मातरम - जय हिंद *जागो सनातनी जागो* *देश जगेगा देश बचेगा* 🪷 🇮🇳 🙏 🇮🇳 🪷
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