
आप और हम(आयुर्वेद)- डा शवेता रस्तोगी
February 16, 2025 at 06:38 PM
एक बहुत बड़ा नामी गिरामी वैद्य था । उसने अपने उपचार से असाध्य से असाध्य रोगियों को ठीक किया था ।
उसके विषय में कहा जाता था कि वह जिस भी रोगी को मात्र अगर एक बार छू भी ले तो वह रोगी बिल्कुल ठीक हो जाता था ।
उसका एक बेटा था । वह अपने पिता के पैसों में खेलता ही रहा और अपने पिता वैद्य से कुछ नहीं सीख पाया । उसके पिता उसे बोलते रहते थे कि कुछ तो सीख ले , पर वह जवानी के नशे में उनको टालता रहा कि बाद में सीख लूँगा , अपने घर की ही तो खेती है ।
उस वैद्य का जब अंत समय आया तो उसके बेटे को चटकना हुई कि वह तो अपने पिता से कुछ भी नहीं सीख पाया और अब आगे उसका गुजारा कैसे चलेगा !!!
वह रोते हुए अपने पिताजी के पास पहुँचा और उनसे कहा कि पिताजी कुछ तो बता दीजिए ।
वैद्य ने कहा कि बेटा यह इतना अथाह सागर है कि पूरा जीवन निकल जायेगा और मेरे पास समय बहुत कम है , तुमने बहुत देर कर दी ।
वैद्य ने कहा कि लेकिन मैं तुम्हें एक उपाय बताता हूँ जिससे तुम्हारा कार्य चलता रहेगा ।
वैद्य ने बताया कि बेटा जो भी रोगी तुम्हारे पास आये , तो एक काम अवश्य करना । अपने हर रोगी को "हर्र" या "हरड़" या "हरीतकी" या "Terminalia Chebula" देना या उसे खाने को बोलना ।
चाहे उसे गर्म कर , भून कर , नींबू में भिगोकर , पानी में भिगोकर , ऐसे ही मुँह में रखकर चूसकर , या चूर्ण बनाकर किसी भी विधा खाने को बोलना ।
क्योंकि मनुष्य शरीर की हर बीमारी पेट से शुरू होती है जो कि ग़लत खान पान से होती है । इसीलिए जिसका पेट अगर ठीक है तो उसको कोई बीमारी आजीवन नहीं हो सकती ।
और हर्र या हरड़ या हरीतकी ( चाहे छोटी हो या बड़ी ) पेट के सभी व्याधियों की अचूक दवा है । अगर पेट ठीक है तो सब ठीक है ।
बस इतना और इससे बड़ी गूढ़ विद्या इतने कम समय में मैं तुम्हें नहीं बता सकता ।
यह घटना पूर्णतः वास्तविक है और इसका वास्तविकता से पूर्णतः लेना देना है ।
इसलिए पेट को दुरुस्त रखने के लिए हमेशा अपने पास हर्र, अजवाइन, मेथी , नींबू, इत्यादि साथ लिए रखना चाहिए ।
आयुर्वेद में तो त्रिफला से बड़ा कोई दूसरी औषधि बताई ही नहीं गयी है जिसमें आँवला, हर्र और बहेड़ा का फल 3:2:1 के अनुपात में भिगो कर सुबह सुबह पीने को कहा गया है।
मेरी touring की job ज़्यादा रहती है , भले मैं अपना कोई महत्वपूर्ण सामान भूल जाऊँ पर अपने बैग में एक थैला अवश्य रखता हूँ जिसमें मेथी, अजवाइन, हर्र , हल्दी, इत्यादि होता है ।
इसलिए सभी लोग अपने शरीर की स्वस्थता के लिए अपने पेट को स्वस्थ्य रखें , आप को कभी कोई रोग नहीं होगा । और जो होगा वह धीरे धीरे खत्म हो जाएगा ।
केमिकल दवाईयों का पूर्णतः बहिष्कार कीजिये , यह आपके शरीर को और अपंग बनाता है और शरीर का तेज खत्म कर देता है ।
अपने खान पान , दिनचर्या को बिल्कुल दुरुस्त रखिये और खाद्य अखाद्य वस्तुओं में अंतर समझ कर ही उसको अपने शरीर में स्थान दें ।
आप स्वस्थ्य तो यह समाज स्वस्थ्य और समाज स्वस्थ्य तो यह देश स्वस्थ्य ।