
Azhar Tamboli
February 17, 2025 at 04:11 PM
सहाब-ए-किराम رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ के हर अमल में इखलासे निय्यत और अल्लाह तआला की रजा शामिल होती थी। इस लिए वह अपने इखलास और अल्लाह की रजामन्दी हासिल करने के लिए बड़े बड़े ओहदे कुर्बान कर दिया करते थे। हजरत खालिद बिन वलीद رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ की माजूली उन के इखलास की बेहतरीन मिसाल है, जब हजरत उमर رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ ने मुल्की इन्तेजाम और बाज दूसरी मसलिहतों की वजह से हजरत खालिद رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ को माजूल कर के उन की जगह हजरत अबू उबैदा बिन जर्राह رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ को अमीर बनाया, तो हजरत खालिद बिन वलीद رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ ने लोगों से फर्माया तुम पर अपने अमीरुल मोमिनीन हजरत उमर رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ ने उस शख्स को अमीर बनाया है जिस को रसूलुल्लाह ﷺ ने (अमीनुल उम्मत) का लक़ब दिया है यह कह कर इमारत को उन के हवाले कर दिया, इस इखलास और वफ़ादारी को देख कर हजरत अबू उबैदा رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ ने कहा के मैं ने रसूलुल्लाह ﷺ को यह फर्माते हुए सुना है के (खालिद अल्लाह की तलवारों में से एक तलवार है।) वह जिंदगी भर शहादत की आरजू करते रहे मगर शहादत मुकद्दर में नहीं थी, जब उन के इन्तेकाल का वक्त आया तो बिस्तर पर लेटे हुए फर्माया : जब मैं इन्तेकाल कर जाऊँ तो मेरा घोड़ा मेरे हथियारों को अल्लाह के लिए वक्फ कर देना। मुल्के शाम के हिम्स नामी शहर में सन २१ हिजरी में इन्तेकाल हुआ।
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