
VARTAMAN KRANTI news24
February 1, 2025 at 06:47 AM
पति की मृत्यु के बाद ही उसकी विधवा को एक कटोरा भांग और धतूरा पिलाकर नशे में मदहोश कर दिया जाता था। जब वह श्मशान की ओर जाती थी, कभी हँसती थी, कभी रोती थी और तो कभी रास्ते में जमीन पर लेटकर ही सोना चाहती थी और यही उसका सहमरण (सती) के लिए जाना था। इसके बाद उसे चिता पर बैठा कर कच्चे बांस की मचिया
बनाकर दबाकर रखा जाता था क्योंकि डर रहता था कि शायद दाह होने वाली नारी दाह की यंत्रणा न सह सके। चिता पर बहुत अधिक राल और घी डालकर इतना अधिक धुआँ कर दिया जाता था कि उस यंत्रणा को देखकर कोई डर न जाए और दुनिया भर के ढोल, करताल और शंख बजाए जाते थे कि कोई उसका चिल्लाना,रोना-धोना,अनुनय-विनय न सुनने पाए। बस यही तो था सहमरण......" सतीप्रथा । सतीप्रथा से छुटकारा दिलाने वाले लोर्ड विलियम बेन्टीक और राजा राममोहन राय को सलाम।