धर्म ज्ञान R P Pathak
धर्म ज्ञान R P Pathak
February 10, 2025 at 05:08 AM
भगवान शिवजी ने कहा ततस्तमाह भगवान्न हि मे तादृशी स्थिति: | स त्वं सृज यथा कामं मृत्युयुक्ता: प्रजा: प्रभो || हे ब्रह्मा ! मेरी ऐसी प्रकृति नहीं है जो मरणशील प्रजा का सृजन कर सकूँ। अतः हे ब्रह्मा ! अब यह कार्य तुम करो और मरणशील प्रजा का सृजन करो। इसप्रकार ब्रह्मा ने जरा मरण संयुक्तं जगदेतच्चराचरम || रूद्र से आदेश प्राप्त कर मरणशील स्थिर और गतिशील प्रजा का निर्माण करने लग गए। जिनकी आज्ञा से ब्रह्माजी इस जगत की सृष्टि तथा विष्णुजी पालन करते है। जो स्वयं "कालरूद्र" नाम धारण करते है और इस विश्व का संहार करते है उन पिनाकधारी भगवान शंकरजी को मेरा बारम्बार नमस्कार है। हर हर शम्भु
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