धर्म ज्ञान R P Pathak
धर्म ज्ञान R P Pathak
February 11, 2025 at 05:10 AM
सत्संग से सत्‌ का प्रेम होने से सत्‌ प्राप्त हो जाता है। सत्संग मिल जाये तो परमात्मा का संग मिल जाता है। सत्‌ से जहाँ सम्बन्ध होता है वह सत्संग है। भगवान्‌ के साथ जो संग है वह सत्संग है। असत्‌ के त्याग से असली सत्संग होता है। 'सत्संग" "सत्‌-चिन्तन" 'सत्कर्म" "सत्‌-चर्चा" "सद्‌ग्रन्थों का अवलोकन" इन सबका उद्देश्य "सत्संग" ही है। सत्‌ की प्राप्ति के लिये असत्‌ का त्याग कर दे तो सत्संग का उद्देश्य पूरा हो जाता है। सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं || श्री अयोध्या नगरी जय श्री राम
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