
धर्म ज्ञान R P Pathak
February 11, 2025 at 05:17 AM
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि
अतुल बल के धाम
सोने के पर्वत सुमेरु के समान
कान्तियुक्त शरीर वाले
दैत्य रूपी वन को ध्वंस करने के लिए अग्नि रूप ज्ञानियों में अग्रगण्य संपूर्ण गुणों के निधान वानरों के स्वामी श्री रघुनाथजी के प्रिय भक्त पवनपुत्र श्री हनुमान्जी को मैं प्रणाम करता हूँ जय श्री राम जय हनुमान 🙏🙏🌹🌹
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