RSS संघ को समझना है तो शाखा में आओ......
February 8, 2025 at 02:58 AM
जो व्यक्ति जीवन में सुख से जीना चाहता है, उसे तपस्या करनी चाहिए। *"बिना तपस्या के व्यक्ति के जीवन में परिपक्वता नहीं आती। उसकी बुद्धि का विकास नहीं होता। उसे संसार के व्यवहारों का ठीक-ठीक ज्ञान नहीं हो पाता। वह दूसरों के साथ ठीक से व्यवहार नहीं कर पाता।"* इसका परिणाम यह होता है, कि *"दूसरे लोग भी उसको महत्त्व नहीं देते। उसको सुख साधन सम्मान और सुविधाएं नहीं देते। ऐसे व्यक्ति की लोग उपेक्षा करते हैं। उसे कदम कदम पर अपमान और दुख झेलना पड़ता है। अर्थात उसका जीवन निष्फल हो जाता है।"*
*"जो व्यक्ति तपस्या करता है। वेदों को पढ़कर अपने ज्ञान को शुद्ध करता है, वेदों और ऋषियों के अनुशासन में चलता है, वेदों के अनुसार उत्तम कर्मों का आचरण करता है, दूसरों को सुख देता है। ऐसा व्यक्ति अपने जीवन में सफल हो जाता है। संसार के लोग उसे सुख साधन सम्मान और सुविधाएं देते हैं।"*
जैसे चंदन का जो टुकड़ा घिस दिया जाता है, वह सुगंध देता है, और माथे पर लगाया जाता है। *"इसी प्रकार से पुरुषार्थी तपस्वी व्यक्ति को भी संसार के लोग अपने सिर माथे पर बिठाते हैं, अर्थात उसे सुख सम्मान देते हैं।"* और जैसे जो चंदन का टुकड़ा घिसा नहीं, लोग उस टुकड़े को अग्नि में जला देते हैं, वह नष्ट हो जाता है। *"उसी प्रकार से जो व्यक्ति पुरुषार्थ तपस्या आदि नहीं करता, उसे चंदन के उस टुकड़े की भांति लोग जला देते हैं, अर्थात दुख देते हैं। अपमानित करते हैं।"*
*"इसलिए यदि आप संसार में सुख पूर्वक, सम्मान पूर्वक जीना चाहते हों, तो आप भी विशेष तपस्या करें, पुरुषार्थी बनें, तभी आप सुखपूर्वक जीवन जी पाएंगे, और आपका जीवन सफल हो पाएगा।"*
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