
श्रुति-युक्ति-अनुभूति
February 12, 2025 at 12:45 PM
‘आ ब्रह्मन् ब्राह्मणों ब्रह्मवर्चसी जायतामाराष्ट्रे’ (यजुर्वेद२२।२२)
*इस मंत्र में जन्म से ब्राह्मण के लिए ब्रह्मवर्चस की प्रार्थना की गयी है। अत: वेदसे जन्मना ब्राह्मणादि जाति सिद्ध होते हैं।*
ब्राह्मणो जन्मना श्रेयान् सर्वेषां प्राणिनामिह ।
(श्रीमद्भागवत महापुराण)
*जन्म से ही ब्राह्मण सभी प्राणियों में श्रेष्ठ है।*
जन्मनैव महाभागो ब्राह्मणो नाम जायते ।
नमस्य: सर्वभूतानामतिथि: प्रसृताग्रभुक्॥
(महाभारत)
*ब्राह्मण जन्म से ही महान् है और सभी प्राणियों के द्वारा पूजनीय है।*
जन्मना लब्धजातिस्तु
(श्रीमद्देवीभागवत महापुराण)
*जाति की प्राप्ति जन्म से ही है।*
जन्मना चोत्तमोऽयं च सर्वार्चा ब्राह्मणोऽर्हति॥
(भविष्य पुराण)
*ब्राह्मण जन्म से ही उत्तम है, और सबों के द्वारा सम्माननीय है।*
जन्मना ब्राह्मणो ज्ञेयः
(पराशर उपपुराण, वैखानस कल्पसूत्र)
*जन्म से ब्राह्मण, संस्कार से द्विज, विद्या से विप्र और तीनों से श्रोत्रिय होता है।*
तप: श्रुताभ्यां यो हीनो जातिब्राह्मण एव स:
(महाभाष्य)
*जो तप और विद्यासे हीन है वह केवल जाति से ब्राह्मण होता है।*
तद्य इह रमणीयचरणाभ्यासो ह यत्ते रमणीयां योनिमापद्येरन् ब्राह्मणयोनिं वा क्षत्रिययोनिं वा वैश्ययोनिं वाथ य इह कपूयचरणाभ्यासो ह यत्ते कपूयां योनिमापद्येरनश्वयोनिं वा शूकर योनिं वा चाण्डालयोनिं वा।
(छान्दोग्योपनिषत्)
*जो अच्छे आचरणवाले होते हैं वे शीघ्र ही उत्तमयोनि को प्राप्त होते हैं। वे ब्राह्मणयोनि, क्षत्रिययोनि अथवा वैश्ययोनि प्राप्त करते हैं तथा अशुभ आचरण वाले होते हैं वे तत्काल अशुभ योनिको प्राप्त होते हैं। वे कुत्ते की योनि, सूकर की योनि अथवा चाण्डालयोनि प्राप्त करते हैं।*
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