'अपनी माटी' पत्रिका
'अपनी माटी' पत्रिका
February 11, 2025 at 01:15 AM
विश्व-प्रपंच’’ एक अनूदित कृति है। जर्मनी के विख्यात प्राणि तत्त्ववेत्ता हैकल की प्रसिद्ध पुस्तक ‘‘रिडल ऑव द यूनिवर्स’’ का अंग्रेजी में अनुवाद जोजफ मेककेव ने किया था। विश्व प्रपंच इसी का हिन्दी अनुवाद है। यह अनुवाद आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने 1920 ईo में किया। यह पुस्तक वस्तुतः ‘‘अनात्मवादी आधिभौतिक पक्ष’’ का सिद्धांत-ग्रंथ है। हैकल अपनी इस पुस्तक में डार्विन के विकासवाद को दार्शनिक जामा पहनाने का प्रयास किया है। प्रश्न ये है कि विज्ञान और दर्शन से संबंधित इस पुस्तक का अनुवाद रामचन्द्र शुक्ल को आवश्यक क्यों लगा? यों तो शुक्लजी ने कई निबंधों का अंग्रेजी से अनुवाद किया है परन्तु उनका कथ्य साहित्य है या साहित्य से संबंधित है। विज्ञान एवं दर्शन से संबंधित पुस्तकों का हिन्दी में आज भी अभाव है। भारतेन्दु हरिश्चंद्र पर लिखते हुए शुक्लजी ने इस कमी को महसूस किया था। ‘‘यद्यपि देश में नए भावों का संचार हो गया था पर हमारी भाषा उनसे दूर थी। भारतेन्दु ने हिन्दी भाषा को आधुनिक बनाया। उसे नए ज्ञान-विज्ञान से जोड़ने का सफल प्रयास किया था। ‘‘अब हमें चाहिए कि राजनीति, विज्ञान, दर्शन, कला आदि के जो जो भाव हम अपनी संसार यात्रा में प्राप्त करते जायें उन्हें अपनी मातृभाषा हिन्दी को बराबर सौंपते जायें क्योंकि यही उन्हें हमारी भावी संतति के लिए संचित रखेगी। रामचन्द्र शुक्ल साहित्यकार होने के साथ ही साथ समाज-सुधारक भी थे। वे जीवन के लिए साहित्य तथा विज्ञान दोनों को आवश्यक मानते थे। इसीलिए अपनी मातृभाषा में वे विज्ञान, दर्शन , कला आदि से संबंधित भाव तथा विचार सौंपने की बात करते हैं। फलतः ‘शुक्लजी का आलोचना कार्य उन लोगों के रास्ते में बहुत बड़ी रुकावट था जो पूँजीवादी विकास की नवीन परिस्थितियों में अपने सिद्धांतों को ऐसा जामा पहनाते थे जिससे उन परिस्थियों से टकराने की नौबत ना आए, उनके अनुकूल बने रहने की सुविधा हो। शुक्लजी विज्ञान युग के लेखक हैं। विज्ञान प्रारंभ से ही जीवन तथा जगत् की समस्याओं से लगातार उलझता रहा है। एक ऐसा समय जब सारे योरप में विज्ञान की दुदुंभी बज रही थी भारत में उसका एक सिरे से अभाव था। [" शोध आलेख : आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की विश्व-दृष्टि / अनिल कुमार "अपनी माटी के इस आलेख को पूरा पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर जाएं ( अंक 57 ) ] लिंक 👉 https://www.apnimaati.com/2024/12/blog-post_184.html
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