'अपनी माटी' पत्रिका
'अपनी माटी' पत्रिका
February 12, 2025 at 01:02 AM
ऐसा है विकास जी, मेरा बचपन और मेरे लेखक होने की कहानी एकदम सीधी-सादी सी है। कोई विशेष आकर्षण उसमें नहीं। पर हाँ, उसमें बीच-बीच में बड़े अजीब किस्म के मोड़ हैं। जगह-जगह छोटे-बड़े गड्ढे, कहीं-कहीं खाई-खंदक भी। हालाँकि अच्छी बात यह है कि इस सबके बावजूद कहानी कहीं रुकी नहीं। चलती रही। चलती ही रही। हर हाल में, हर मुश्किल और बाधाओं से लड़ती हुई आगे चलती रही। शायद इसलिए भी कि सौभाग्य से मुझे जीवन में हर मोड़ पर ऐसे लोग मिले, जिन्होंने मुझे टूटने, गिरने नहीं दिया। किसी ने कंधा थपथपाया। किसी ने ऐसे वक्त में हाथ बढ़ाकर सँभाल लिया, जब मैं डगमगाकर गिरने ही वाला था। किसी ने दुख-दर्द में बह आए मेरे आँसू पोंछे और हिम्मत बढ़ायी। किसी ने हाथों में हाथ लेकर कहा, “तुम इतने परेशान क्यों हो भाई, हम तुम्हारे साथ हैं न!”यों मेरी कहानी रुकते-रुकते फिर आगे चल पड़ी। जैसे नदी राह में आने वाली बड़ी-बड़ी चट्टानों और झाड़-झंखाड़ों को पार करके आगे चलती ही जाती है। कभी-कभी लगता है, नदी की धारा रुकी। बस, अब रुक ही गयी। पर कोई चीज है, जो उसे रुकने नहीं देती। शायद मेरी कहानी में भी कोई चीज ऐसी हो, जो तमाम टूटन में भी रास्ता निकाल लेने की चुनौती मेरे अंदर भर देती है। तमाम तरह के विरोधों, उपेक्षा और अपमान को भी झेलकर, मन में चलने, बस, चलने की ही गुहार मचाती है। वह क्या है, मैं नहीं जानता। पर वह कुछ तो है। शायद वही मेरी प्राणशक्ति भी है। वही मुझे हारकर भी हारने नहीं देती। टूटकर भी टूटने नहीं देती। निराला ने कहा, दुख ही जीवन की कथा रही! क्या मैं भी वही कहूँ? पर फिर लगता है, दुख-सुख किसके जीवन में नहीं हैं। वे ही तो कहानी को कहानी बनाते हैं। वे न हों तो कहानी का मजा भी क्या!तो चलिए, मैं अपनी कहानी ही सुना देता हूँ। 12 मई, 1950 को उत्तर प्रदेश के शिकोहाबाद शहर में एक मध्यवर्गीय परिवार में मेरा जन्म हुआ। हालाँकि मेरी कहानी इससे कुछ पहले शुरू होती है। खुशाब जिले के कुरड़-कट्ठा गाँव से, जो अब पाकिस्तान में है। [" साक्षात्कार : बाल साहित्य सिर्फ़ बच्चों के लिए ही नहीं बड़ों की भी अनिवार्य जरूरत (वरिष्ठ बाल साहित्यकार प्रकाश मनु से विकास दवे की बातचीत) / प्रकाश मनु "अपनी माटी के इस आलेख को पूरा पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर जाएं ( बाल साहित्य विशेषांक अंक - 56 ) ] लिंक 👉 https://www.apnimaati.com/2024/12/blog-post_39.html
👍 🙏 2

Comments