'अपनी माटी' पत्रिका
'अपनी माटी' पत्रिका
February 14, 2025 at 01:36 PM
मानव जीवन को नियमों और मर्यादाओं के आधार पर अनुशासित करने के प्रयासों ने मृत्‍यु के बाद के जीवन की अवधारणा को जन्‍म दिया। शुभ और अशुभ कर्म,पाप और पुण्‍य का वर्गीकरण और नीयत और ईमान जैसी बातें प्रचलन में आईं। इसी क्रम में मनुष्‍य ने स्वर्ग और नरक की अवधारणाओं को समझने और उनके गहरे अर्थ को खोजने का प्रयास किया है। विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में नरक को एक ऐसी जगह के रूप में वर्णित किया गया है जहाँ पाप और अधर्म के लिए दंड दिया जाता है। इस स्थान पर बुरे कर्मों के परिणामस्वरूप व्यक्ति को कठोर यातनाएँ सहनी पड़ती हैं। धार्मिक ग्रंथों में नरक की अवधारणा का विस्‍तार से वर्णन है। नरक की अवधारणा और उसके स्‍वरूप को चित्र के माध्‍यम से व्‍यक्‍त करने पर उसके प्रभाव को अपेक्षाकृत अधिक गहनता प्रदान की जा सकती है। नरक की भयावहता को अपेक्षित ढंग से अंकित करने के लिए माध्‍यम के रूप में चित्रों का चयन एक प्रभावी कदम रहा। चित्र सीधे भावनाओं पर असर डालते हैं और मनोवैज्ञानिक रूप से गहरे प्रभाव छोड़ते हैं, जिससे नरक की स्थिति का अनुभव शब्दों की तुलना में अधिक स्पष्ट रूप से किया जा सकता है। चित्रण की भाषा स्वाभाविक रूप से भावनात्मक और संवेदनशील होती है, जो दर्शक को तुरंत अपनी ओर खींच सकती है। दृश्य चित्रण ने नरक की जटिल अवधारणाओं को बोधगम्‍य बनाया। दृश्‍य की व्‍यापकता और गहराई से विषय की प्रस्‍तुति यथोचित असर पैदा करती है। खासकर उन लोगों के लिए जो ग्रंथों को पढ़ने में असहज हैं या जिनके पास पढ़ने का समय नहीं है। कला, साहित्य और संस्कृति में भी नरक का चित्रण एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, और कई संस्कृतियों में इसे विभिन्न रूपों में जीवंत रूप से उकेरा गया है। प्रस्‍तुत आलेख में विभिन्‍न धर्मों में नरक की अवधारणा के आधार पर बनाए गए चित्रों वस्‍तुपरक और शिल्‍पगत विश्‍लेषण किया गया है। कलाकृतियाँ नरक की अवधारणा को वांछित प्रभावों के साथ अभिव्‍यक्‍त करने में सहायक सिद्ध हुईं हैं। चित्रांकन अपनी विशिष्‍ट शैलियों का यथावत प्रतिनिधित्‍व करता है। [ *शोध आलेख : नरक की अवधारणा और दृश्‍यगत अभिव्‍यक्ति / शाहिद परवेज़* लिंक 👉- https://www.apnimaati.com/2024/12/blog-post_84.html?m=1 ]

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