
'अपनी माटी' पत्रिका
February 19, 2025 at 12:58 AM
शिक्षा और साहित्य किसी भी समाज के विकास के मूल आधार होते हैं। जब हम बच्चों की शिक्षा की बात करते हैं, तो इसमें न केवल अकादमिक ज्ञान शामिल होता है, बल्कि यह उनकी रचनात्मकता, कल्पना, और नैतिकता कोभी प्रभावित करता है। बाल साहित्य, जो विशेष रूप से बच्चों के लिए लिखा गया होता है, उनकी मानसिक और भावनात्मक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह न केवल बच्चों को पढ़ने के प्रति प्रोत्साहित करता है, बल्कि उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों और आदर्शों से भी परिचित कराता है। पाठ्य पुस्तकों के साथ यदि बाल साहित्य की रचनाओं एवं अन्य पुस्तकों को भी जोड़ दिया जाए तो उसमें से बालकों को और अप्रत्याशित लाभ होने की संभावनाएँ होती हैं। आइए हम देखते हैं कि स्कूली शिक्षा में बाल साहित्य का क्या महत्व है। रचनात्मकता और कल्पना का विकास : बाल साहित्य की कहानियाँ, कविताएँ और उपन्यास बच्चों की रचनात्मकता को विकसित करने में सहायक होती हैं। जब बच्चे दिलचस्प कहानियाँ पढ़ते हैं, तो वे अपनी कल्पना की उड़ान भरने लगते हैं। यह उन्हें अपने दृष्टिकोण से सोचने और नयी चीज़ों की खोज करने के लिए प्रेरित करता है। उदाहरण के लिए पंचतंत्र की कहानियाँ बच्चों को नैतिकता के साथ-साथ सोचने और समस्या हल करने की क्षमता को भी विकसित करती हैं। भाषाई कौशल में सुधार : नियमित रूप से बाल साहित्य पढ़ने से बच्चों की भाषा पर पकड़ मजबूत होती है। वे नये शब्द सीखते हैं, वाक्य निर्माण के तरीके समझते हैं, और अपनी संप्रेषण क्षमता में सुधार करते हैं। रामचंद्र गुहा जैसे लेखकों की कहानियाँ बच्चों को न केवल हिंदी भाषा की समझ विकसित करने में मदद करती हैं, बल्कि उन्हें सांस्कृतिक धरोहरों से भी परिचित कराती हैं। नैतिक और सामाजिक मूल्यों की शिक्षा : बाल साहित्य के माध्यम से बच्चों को नैतिकता, ईमानदारी, साहस और करुणा जैसे मूल्यों की शिक्षा दी जाती है। जैसे कि 'महात्मा गाँधी की कहानियाँ' बच्चों को अहिंसा और सत्य की ताकत का संदेश देती हैं, जबकि रस्किन बॉन्ड की कहानियाँ उन्हें प्रकृति और जानवरों के प्रति प्रेम का महत्व सिखाती हैं। भावनात्मक विकास : कहानियाँ पढ़ने से बच्चे भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं। वे पात्रों के दुख-सुख से जुड़ते हैं और उनकी भावनाओं को समझने का प्रयास करते हैं। यह उन्हें सहानुभूति और समझदारी सिखाता है। 'माल्गुडी डेज़' जैसे उपन्यास बच्चों को विभिन्न प्रकार के लोगों और उनकी समस्याओं के बारे में सिखाते हैं, जिससे वे अधिक संवेदनशील और सहानुभूतिपूर्ण बनते हैं।
[" शोध आलेख : स्कूली शिक्षा और बाल साहित्य / कुसुम अग्रवाल "अपनी माटी के इस आलेख को पूरा पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर जाएं ( बाल साहित्य विशेषांक अंक - 56 ) ]
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