'अपनी माटी' पत्रिका
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February 21, 2025 at 01:36 AM
भारत में आज बहुत से कला आयोजन सरकारी व निजी संस्थानों द्वारा सामूहिक व एकल रूप से आयोजित किये जा रहे हैं। कला अवधारणाओं व कला माध्यमों के बदलते स्वरूप के साथ कला आयोजन भी कई तरह के बदलाव व विस्तार की ओर अग्रसर हुए हैं। कलाओं का प्रदर्शन यूँ तो निरंतर होता आ रहा है किन्तु स्वतंत्रता के बाद से अब तक के समय में कला के प्रदर्शन व कला के साथ समाज के दृष्टिकोण में काफी बदलाव आया है। यहाँ तक कि कला प्रदर्शन के स्थलों में भी हमें बेहद परिवर्तन दिखाई देते हैं। कला महँगी दीर्घाओं से लेकर जनकला के रूप में प्रदर्शित होने लगी है या यूँ कहें कि कला और समाज एक दूसरे के ओर निकट आये हैं। भारतीय कला परिवेश में स्वतंत्रता के बाद से हो रहे कला आयोजनों से समाज, कलाकारों व कलाकृतियों के प्रदर्शन स्थिति पर उत्तरोत्तर परिवर्तन परिलक्षित हुआ है। कला आयोजनों द्वारा कलाकार अपनी पहचान बनाने के साथ-साथ समाज को भी एक नया दृष्टिकोण देता है। ऐसे आयोजन उनके कला-सर्जन को प्रोत्साहित कर सर्जनात्मकता को बढ़ावा देते हैं तथा भावी कलाकारों में रूचि जाग्रत करते हैं। सरकारी व निजी संस्थाओं द्वारा कला आयोजन समय-समय पर आयोजित करवाये जाते रहे हैं जो न सिर्फ कलाकारों को सामने लाते हैं बल्कि देश-दुनिया के भीतर चल रही कलाओं की दशा-दिशा से भी रूबरू करवाते हैं। भारत के केरल राज्य के हृदय में हर दो साल में समकालीन कला का एक जीवंत उत्सव आयोजित होता है जो ऐतिहासिक शहर कोच्चि को एक वैश्विक सांस्कृतिक केंद्र में परिवर्तित कर देता है। ‘कोच्चि-मुजिरिस बिनाले’ की शुरुआत एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना के रूप में हुई जिसका उद्देश्य भारत में समकालीन कला के लिए एक प्रमुख मंच बनाना था। वर्ष 2012 में हुई शुरूआत के साथ आज ‘कोच्चि-मुजिरिस बिनाले’ जल्द ही एशिया के सबसे बड़े और महत्त्वपूर्ण समकालीन कला आयोजनों में से एक बन गया है जो दुनियाभर के कलाकारों, कला निर्देशकों और कला प्रेमियों को आकर्षित करता है। कोच्चि अपनी औपनिवेशिक वास्तुकला, व्यस्त मसाला बाजारों और विविध सांस्कृतिक प्रभावों के समृद्ध ताने-बाने के साथ इस अंतरराष्ट्रीय कला उत्सव के लिए एक अनूठी पृष्ठभूमि प्रदान करता है। बिनाले आयोजन के दौरान शहरभर में विभिन्न स्थानों का उपयोग कलात्मक प्रदर्शन के लिए किया जाता है जिसमें ऐतिहासिक महत्त्व के भवन, गोदाम और सार्वजनिक स्थान शामिल हैं जो ऐतिहासिक संदर्भ और अत्याधुनिक कलात्मक अभिव्यक्ति का संगम हैं। [" शोध आलेख : कोच्चि-मुजिरिस बिनाले : संस्कृति और रचनात्मकता का कैनवास / कुमुदिनी भरावा "अपनी माटी के इस आलेख को पूरा पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर जाएं ( दृश्यकला विशेषांक अंक - 55 ) ] लिंक 👉 https://www.apnimaati.com/2024/12/blog-post_34.html
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