मोहब्बत शायरी
February 18, 2025 at 04:20 PM
ये मेरी शायरी जो है न खुदकुशी का धंधा है,
अब तो अपनी ही लाश ही और अपना ही कंधा है,
मुझ जैसे शायर उस शहर में आईना बेचता फिरता हूं,
जहां का पूरा शहर ही शायद अंधा है।।
💔💔
❤️
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