
Vibrant Veda
February 6, 2025 at 10:23 AM
*वसंत ऋतु (SPRING)*
जैसा कि हम देखते हैं, वसंत ऋतु के दौरान हमारे आसपास कई लोग मौसमी बीमारियों का अनुभव करते हैं।
चिंता की कोई बात नहीं, यह केवल शरीर की प्राकृतिक शुद्धिकरण प्रक्रिया का एक हिस्सा है।
*आयुर्वेद में, वसंत ऋतु (Spring)* को परिवर्तन का मौसम माना गया है, जो शिशिर ऋतु (सर्दी) से ग्रीष्म ऋतु (गर्मी) में बदलाव का संकेत देता है। इस दौरान, कफ दोष शरीर में एकत्रित होकर गर्मी के प्रभाव से तरल रूप में परिवर्तित होने लगता है, जिससे एलर्जी, सर्दी, पाचन मंदता और सुस्ती जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। आयुर्वेद के अनुसार, इस मौसम में आहार, जीवनशैली और शरीर के शुद्धिकरण से जुड़े कुछ उपाय अपनाने से कफ संतुलित रहता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
आयुर्वेद के अनुसार, वसंत ऋतु में सर्दी-जुकाम होना असामान्य नहीं है।
🌷 *कफ दोष की वृद्धि:* हेमंत और शिशिर ऋतु (सर्दियों) में ठंड के कारण शरीर में कफ दोष जमा हो जाता है। जब वसंत ऋतु में तापमान बढ़ता है, तो यह संचित कफ तरल होने लगता है, जिससे पाचन शक्ति कमजोर हो सकती है और सर्दी, खांसी तथा एलर्जी जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
🌷 *विषाक्त पदार्थों (टॉक्सिन्स) का संचय:* संचित कफ के तरल होने से शरीर में विषाक्त पदार्थ भी मुक्त हो सकते हैं। यदि ये विष समय पर शरीर से बाहर नहीं निकलते, तो वे सर्दी, खांसी और अन्य एलर्जी संबंधी समस्याओं को बढ़ा सकते हैं।
🌷 *मौसमी एलर्जी:* वसंत ऋतु में वातावरण में नमी और परागकण (pollen) की मात्रा बढ़ने से एलर्जी की संभावना अधिक हो जाती है, जिससे नाक बंद होना, श्वसन संबंधी दिक्कतें और पुरानी सर्दी की समस्या बढ़ सकती है।
*Vibrant Veda ❤️* ✨
FOLLOW जरूर से करे सबसे पहले आयुष से जुड़ी जानकारी पाने के लिए |
🔗WhatsApp channel link : https://whatsapp.com/channel/0029VahT5by2UPBB6Jq9Rn0a
🔗 Telegram Channel link :- https://t.me/vibrant_veda
🔗 Follow on Instagram : https://www.instagram.com/vibrant_veda?igsh=MTF0dDN1OThkZXdjdg==
Share with your batchmates 🤝