
Dr. Dilip Kumar Pareek
February 1, 2025 at 01:14 AM
मैं जब भी
पढ़ने की कोशिश करती हूँ
तुम दिखने लगते हो।
मैं जब भी
तुम्हें लिखने की कोशिश करती हूँ
तुम अदृश्य हो जाते हो।
तुम्हारी अनुभूति की
आँख मिचोली में
मैं सो नहीं पाती
तुम्हारी हो नहीं पाती....।
डॉ. दिलीप कुमार पारीक
❤️
💯
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