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कविताएं ... जिन्हें आप पढ़ना पसंद करेंगे, विद्यालयीय नवाचार व गतिविधियाँ.....

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5/26/2025, 8:21:03 AM

तुमको देखें......😍

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5/26/2025, 7:59:40 AM

मैंने जीवन में असीम खुशियाँ है मेरे हिस्से एक गाँव है कुछ पेड़ हैं साफ आसमान है और पीने को पानी है अभी मुझ पर माँ बाबूजी जी का हाथ है भाई है उसका साथ है और रहने को मकान है मुझे नींद आती है पेट छोटा है आँखें साफ देख लेती हैं हाथ काम करते हैं और मैं आराम से चल पाता हूँ मेरी एक अलमीरा है उसमें किताबें हैं मैं पढ़ पाता हूँ मैं लिख भी लेता हूँ और मुझे बातें समझ आती हैं मैं अनुभूत करता हूँ आनन्दित हो उठता हूँ आँसूं बहा देता हूँ पोंछ कर खड़ा हो जाता हूँ और मेरा हृदय अभी भी धड़कता है कुल मिलाकर मैं मजे में हूँ। डॉ. दिलीप कुमार पारीक

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5/28/2025, 5:18:04 AM

मैं हमेशा अपने आस-पास रहना पसंद करता हूँ इससे हम खुद को देख पाते हैं खुद से बात कर सकते हैं खुद को समझ पाते हैं खुद को मान पाते हैं मैं जब भी उदास होता हूँ मैं खुद के और नजदीक आ खुद को समझाता हूँ मेरी आँखें मुझे निहारती हैं मेरे हाथ मेरे बाल ठीक करते हुए मेरे सर पर स्नेहसिक्त हाथ फेरते हैं मेरे आँसू मेरे द्वारा ही पोंछे जाते हैं जब भी मैं खुश होता हूँ मैं अपनी बातों की चाशनी से मीठा हो जाता हूँ मेरे गालों पर सुरमई लाल रंग छा जाता है मैं अपने गीत गा उठता हूँ और मैं यकीनन मेरे साथ नाच उठता हूँ ..... डॉ. दिलीप कुमार पारीक

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5/27/2025, 2:15:32 AM

अंक मात्र सीखने की गति के निर्धारक हैं.....😊

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5/23/2025, 5:13:17 PM

प्रेम..... जैसे-जैसे ऊपर उठता है ऊपर उठाता है प्रेमियों को आशाएं खिलखिला उठती है आँखों में चमक आ जाती है फूल बिन मौसम खिल जाते हैं काँटे चुभते हैं पर दर्द नहीं होता हर पल कोई छूता सा लगता है बातें बताने से ज्यादा सुननी अच्छी लगती है हम हल्के हो जाते हैं चिड़िया के उस पंख की माफ़िक जो धवल है और बह रहा है आकाश में हम गुण द्रष्टा हो जाते हैं हमें ऐब नजर ही नहीं आते एड़ियाँ ऊपर उठती हैं पाँव जमीन पर नहीं होते कोई उठा ले जाता है किसी ऊँचे पहाड़ पर और हमारी आँखें खूबसूरत हो जाती है हर इंतजार सुहाता है बिस्तर और नर्म हो जाते है तकिया अभिन्न अंग हम खुद से बातें करने लगते हैं दुःख में सुख की अनुभूति होती है सूली पर टंकना अभीष्ट लगता है प्रेम ऊपर उठाता है प्रेमियों को...... डॉ. दिलीप कुमार पारीक

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5/27/2025, 5:02:53 PM

मैंने हमेशा खुद से सवाल किए और पूछा कि जो कर रहा हूँ क्या वह सही है ? क्या यह और बेहतर हो सकता है ? हर बार कोई न कोई जवाब आया स्वयं के तर्क की कसौटी पर उन्हें कसा गया और फिर वो किया गया जो अंदर से करने को कहा गया मैं मानता हूँ मैं हर जगह सही नहीं हो सकता पर जो भी किया वह उस समय का श्रेष्ठतम विवेक था मुझे काश में विश्वास नहीं इसलिए मैं प्रयत्न और इसके प्रकार में कोताही नहीं बरतता फल से मुझे कोई सरोकार ना था, ना है आप्त होना आसान नहीं है प्रामाणिकता का आरंभ आत्मा से होता है तो स्वयं को दुनिया के सामने अच्छा सिद्ध करना बन्द कीजिए और खुद से बातें कीजिए आपके सबसे अच्छे दोस्त आप स्वयं हैं। Dr. Dilip kumar pareek

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5/30/2025, 1:00:28 AM

दुनिया के अधिकतम युद्ध, वैमनस्य महज जीभ की कारस्तानी है। महसूस कीजिए आपके जीवन के प्रायः समस्त युद्धों की जड़ में किसी न किसी की बदजुबानी ही रही है। हर बदजुबानी को शांत भाव से सुनिए, उसके पीछे के जहर को समझिए, समय दीजिए और स्वयं के प्रति कुछ कठोर निर्णय लीजिए...😊

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5/29/2025, 3:56:14 PM

जब दीप जलाऊं तब आना....😊

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5/25/2025, 3:36:56 AM

मैं जब भी पढ़ने की कोशिश करता हूँ तुम दिखने लगती हो। मैं जब भी तुम्हें लिखने की कोशिश करता हूँ तुम अदृश्य हो जाती हो। तुम्हारी अनुभूति की आँख मिचोली में मैं सो नहीं पाता तुम्हारा हो नहीं पाता....। Dr. Dilip kumar pareek

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5/23/2025, 4:38:14 AM

1997 में दसवीं हुई..... मैं रैवासा धाम में वेद विद्यालय में पढ़ा करता था। सुबह-शाम वेद पढ़ना, दिन में स्कूली शिक्षा। गणित और विज्ञान वे दुरूह विषय थे जो हमें अब तक समझ नहीं आए। खासकर बीजगणित.... ना बीज पकड़ में आते, ना शाखाएं, ना जड़....। परीक्षा के दिनों में जब मैंने वेद पढ़ने को स्थगित किया तब मेरी शिकायत महाराज श्री से हुई और लगभग उसी समय उन्होंने मुझे 'नेता' उपनाम दिया। खैर.... रिजल्ट आया, अखबार में छपा। चूंकि मैं खेत में गाँव से 3 किलोमीटर दूर रहता था तो रोल नम्बर गाँव में दे रखे थे। रूपेश Rupesh Pareek ( नानू ) 3 किलोमीटर पैदल चलकर खेत पहुँचा और बताया कि मैं प्रथम श्रेणी से पास हो गया। खुशियाँ परवान पर थी। मैं क्लास में थर्ड-फ़र्ड था। मोहम्मद अलीम Abdul Alim हमेशा की तरफ अव्वल था। हम दोनों जिगरी रहे और समय मिलने पर मंदिर में घूमा करते थे। तब से मैं इससे नहीं मिल पाया पर हम कॉन्टेक्ट में हैं। प्रदीप जैन Pradeep Jain 2nd रहा। आजकल सीकर में डेंटिस्ट है। हालिया हम वापस जुड़े हैं। जैन जिस सलीके से स्कूल आता था वो देखने लायक था। तो आखिरकार 62% की महान उपलब्धि से हमने कक्षा 10 की वैतरणी पार की।

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