
Dr. Dilip Kumar Pareek
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About Dr. Dilip Kumar Pareek
कविताएं ... जिन्हें आप पढ़ना पसंद करेंगे, विद्यालयीय नवाचार व गतिविधियाँ.....
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आपने ऐसे बहुत से लोग देखे होंगे जो पहले मैसेजेज लिखते हैं फिर मिटा देते हैं। इसके सामान्यतया दो कारण होते हैं एक लेखन त्रुटि दूसरा बड़ा विचित्र होता है। भावनाओं पर नियंत्रण का अभाव। वो आपको कहना भी चाहता है, छुपाना भी चाहता है। लिखने को भी विवश है। मिटाने को भी विवश है। बताना भी है और डरता भी है। मुझे लगता है यदि कोई भी अक्सर ऐसा करता है तो विश्वास के योग्य नहीं है। सच है न....😊

लगे ना दिल तो फिर तुम क्या ही उसके बाद करती हो खुदा से किस तरह अपने लिए फरियाद करती हो। मुझे मालूम है तुम भी मेरी फितरत से मिलती हो तुम्हें मैं याद करता हूँ मुझे तुम याद करती हो। Dr. Dilip kumar pareek

और घूमती हुई घड़ी की सूईयाँ खाती जा रही हैं एक एक पल इस लम्बे लगते जीवन का जहाँ मैनें हर बार सोचा है कि मैं फलां काम कल कर लूंगा हर एक काम को मैनें पास रखा सहेज कर भविष्य में सम्पादित करने को जबकि घड़ी ठीक मेरे सामने वाली दीवार पर कील के सहारे अनथक चल रही है मैं उसे देखकर नहीं देखता मैं उसे चलते देख नहीं चलता यह नजरअंदाजी आज मेरी तरफ से है कल घड़ी की तरफ से होगी मुझे पता है और गलत ये है कि यह मुझे उस वक्त भी पता होता है जब घड़ी मुझे सुनाती रहती है अपनी टिक टिक टिक टिक डॉ. दिलीप कुमार पारीक

गले लगाइए क्योंकि इससे दिल की बीमारियाँ खत्म होती हैं पत्थर पिघलते हैं हाथों की जकड़न ठीक होती है बन्द नसें खुलती हैं दिमाग की सनक दूर हो जाती है नाक लंबी नहीं बढ़ती आँखें ताजगी महसूस करती है गालों पर चमक आ जाती है हृदय विशाल होता जाता है शरीर में अनुभूति बढ़ जाती है रोम-रोम खिल उठता है मन की मलिनता हट जाती है अहंभाव तिरोहित हो जाता है और सबसे बड़ी बात पहाड़ों पर भी फूल खिल उठते हैं तो गले लगाइए....... डॉ. दिलीप कुमार पारीक

नभ में इक रेखा खींच-खींच मुट्ठी को अपनी भींच-भींच। लो आज उठें संग्राम करें हुंकार भरें कुछ काम करें। यश-अपयश देखा जाएगा बस भाला फेंका जाएगा। #RAS PRE Dr. Dilip kumar pareek

जीवन आपको अवसर देता है बहुत अच्छे, बहुत बुरे रूप में अगर हुनर है तो उनको अपने हिसाब से इस्तेमाल करें जीवन रो कर आँख साफ करने से लेकर हँस कर हँसाने तक का अवसर प्रदाता है क्या आप अच्छे अवसरों की तलाश में है तो ये आपके आस - पास ही हैं बहुत दूर बहुत देर तक मत जाइए रुकिए यही वो बात है जब आप बदल सकते हैं अपनी हस्तरेखाएँ अपने चिरपथ अपनी मंज़िलें भुनाइये हर उस घटना को जो परिवर्तन लाती है आपके स्थिर जीवन में। चलिए खड़े हो जाइए चलना शुरू कीजिए.... डॉ. दिलीप कुमार पारीक

मैं जब भी पढ़ने की कोशिश करती हूँ तुम दिखने लगते हो। मैं जब भी तुम्हें लिखने की कोशिश करती हूँ तुम अदृश्य हो जाते हो। तुम्हारी अनुभूति की आँख मिचोली में मैं सो नहीं पाती तुम्हारी हो नहीं पाती....। डॉ. दिलीप कुमार पारीक

एक अच्छा शिक्षक... बिठाता है पास जगाता है आस बताता है रास्ता दिलाता है वास्ता जगाता है आग पकाता हैं आँच पर एक अच्छा शिक्षक... हटाता है अंधकार जताता है प्यार दिखाता है संसार उड़ाता है पसार फैलाता है रोशनी चलाता है रास्ते पर एक अच्छा शिक्षक... बढ़ाता है हौंसला बनवाता है घोंसला कराता है काम उठाता है नाम सुंघाता है ज्ञान चढ़ाता है पहाड़ पर एक अच्छा शिक्षक... पढ़ाता है किताब बनाता है इंसान....। डॉ. दिलीप कुमार पारीक

तुम्हीं से होकर तुम्हीं से गुजर जाऊंगा घर से निकल गया हूँ अब क्या घर जाऊंगा। डॉ. दिलीप कुमार पारीक