
Dr. Dilip Kumar Pareek
February 7, 2025 at 03:02 PM
अबोली की डायरी ....
मेरे हाथ में है।
यह वह बहुप्रतीक्षित पुस्तक है जिसके प्रकाशित होने का मैं विगत 7 वर्षों से प्रतीक्षा कर रहा था।
भय मिश्रित प्रतीक्षा....
मुझे लगता है मेरे हाथ में गर्म किया हुआ शीशा है जो बस बह उठेगा मेरी अन्तरात्मा को पिघलाते हुए।
मैं लेखिका की कविताएँ वर्षों से पढ़ रहा हूँ और प्रायः मैंने उनका मतलब उन्हीं से बात कर जाना है।
मैं जीवन में गहरे अंधकार से नहीं गुजरा। ना ही कभी किसी गहरे समंदर में किसी पत्थर के नीचे दबा रहा।
मुझे डर है कि इसे पढ़ते समय सांसे न जाने कितनी ठंडी हो जाएंगी। मुझे पता है इसे पढ़ने के बाद मैं एक लंबे अर्से तक कुछ नहीं पढ़ पाऊंगा।
मैं उन्हें जानता हूँ पर उससे ज्यादा जानने से हमेशा खुद को रोका है। मुझे पता है और जानने के बाद इतने वर्षों का जानना तिरोहित हो जाएगा।
मुझे रोये वर्षों हो गए पर शायद मैं यह पढ़ कर अनेक बार मैं मेरी चिंतन शक्ति खो बैठूंगा।
1992 से 2022 तक की किसी महिला की डायरी पढ़ना..... वो भी अबोली की....
मैं हिम्मत करूंगा... मैं इसे पढ़ ही लूंगा.... मैं इसे समझ पाने में समर्थ हो ही जाऊंगा....
फिर मैं शायद मैं ना रहूंगा.......
मुझे अंदाजा है मेरे साथ क्या होना है।
फिर भी शेखावाटी की जुवि शर्मा जी की आँखों से मुम्बई के किसी फ्लैट की खिड़कियों से अन्यमनस्क हो आकाश दर्शन करती जुवि जी को पढ़ना एक परिवर्तनकारी अनुभव होगा।
अप्रतिम लेखिका को इस हिम्मत के लिए साधुवाद।
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